Sunday, November 22, 2015

कामना

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

बारिशों के बाद
जैसे छाये हरियाली
पतझड़ के बाद
जैसे खिले बसंत
ऐसे ही जीवन में
फिर आयें खुशियाँ
उदासी का एक पल
सपने में भी ना आये.
चेहरे पे चमक
मन में उल्लास
दस्तक देते हुये
आये इस साल।

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