हिन्दी साहित्य
Friday, November 27, 2015
विवाह-उत्सव
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
विवाह दो दिन का उत्सव नहीं
उल्लास है जीवन भर का
समर्पण एक दूजे को वर-वधू का
निभानी हैं परम्परा दोनों कुलों की।
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