गीत
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
कोयल की सुन तान
तुम्हारे गीत रचे।
अँधियारे पथ में
ज्योतिर्मय राह जगी
पाँव महावर से फिर
मैंने मीत रचे।
कोयल की सुन तान
तुम्हारे गीत रचे।
तुझसे बँधे तो
सब रिश्ते-नाते छूटे
तुझसे हारूँ, तो भी
मेरी जीत रचे।
कोयल की सुन तान
तुम्हारे गीत रचे।
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