हिन्दी साहित्य
Sunday, August 14, 2016
भारत माँ
(डॉ0 मंजूश्री गर्ग)
सिर पे ताज हिमालय
औ
’
चंदा-सूरज बिंदिया.
पहने परिधान हरितिमा के
औ
’
गहने सारी नदियाँ.
पैरौं में पैजनियाँ बनी
सागर की उजली लहरें.
ऐसा अनुपम रुप है
मेरी भारत माँ का.
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