हिन्दी साहित्य
Tuesday, August 23, 2016
चाहे-अनचाहे मोड़ों ने दिया, जीवन को नया रूप,
जैसे सादा-सपाट कागज, कोई बन गया हो नाव।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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