Wednesday, December 17, 2025


छोड़ दो तुम हाथ,

चलने दो, दो कदम,

डगमगाते ही सही।

दृढ़ता वही देंगे,

मीलों के सफर की।

                डॉ. मंजूश्री गर्ग

 

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