हिन्दी साहित्य
Monday, December 15, 2025
हकीकत में ना सही,
ख्वाबों में ही सही।
पल भर जी लेते हैं,
मुस्कुरा लेते हैं पल भर।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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