भरत-कूप
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
चित्रकूट में एक कुआँ है जिसे आदि जल-स्रोत माना
जाता है. जब भरत जी चित्रकूट में श्रीराम से मिलने गये तो राज्याभिषेक का सभी
सामान भी अपने साथ ले गये थे, उसमें सब तीर्थों का जल भी था. भरतजी को आशा थी कि अनुरोध
करने पर श्रीराम अयोध्या वापस आने के लिये तैय्यार हो जायेंगे और हम वहीं उनका
राज्याभिषेक कर देंगे, किंतु श्रीराम ने माता-पिता की आज्ञा का मान रखने के लिये
अवधि-भर(चौदह वर्ष) वन में ही रहने का निश्चय किया. तब श्री अत्रिमुनि के कहने पर
भरतजी ने सब तीर्थों का जल जो अपने साथ ले गये थे, जल के आदि स्रोत उस कुँये में
रख दिया. तभी से वह कुआँ भरत-कूप के नाम से जाना जाता है. वहाँ का जल अति पवित्र
और पावन है.
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