हिन्दी साहित्य
Monday, July 25, 2016
हाइकु
ड़ॉ0 मंजूश्री गर्ग
छिपा सूरज
बादलों से झाँकतीं
स्वर्ण किरणें।
निकला चाँद
बादलों से चमकी
रजत-आभा।
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