कर सोलह श्रृंगार
साँझ की दुल्हन बैठी है.
सूरज की लालिमा
माथे पे सजा.
पहन कर
सितारों जड़ी चूनर.
लगाकर
रात का काजल.
कर रही इंतजार
कब आओगे पाहुने!
डॉ. मंजूश्री गर्ग
No comments:
Post a Comment