Tuesday, April 29, 2025


कर्मयोगी श्रीकृष्ण

 

कभी नंद की गायें चरायें,

कभी बजायें बाँसुरी वन में।

कभी सुदामा के पग धोयें,

कभी बने सारथि पार्थ के।


कर्मयोगी बनकर ही श्रीकृष्ण

देते संदेश कर्म करने का। 

        डॉ. मंजूश्री गर्ग

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