Friday, April 25, 2025

 

बूँद-बूँद से-----

 

बूँद-बूँद से समुद्र बने

फूल-फूल से उपवन

तुम अपने को कम

मत समझो, तुमसे ही

देश और विश्व बने।

        डॉ. मंजूश्री गर्ग


No comments:

Post a Comment