Thursday, May 1, 2025


आज स्वरूप को खोकर ही.......

 

पयस्विनी सी बहना है तो

बर्फ सा गलना होगा।

गहनों में गढ़ना है तो

सोना सा तपना होगा।

आज स्वरूप को खोकर ही

नये रूप में ढ़लना होगा। 

            डॉ. मंजूश्री गर्ग

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