एक मिलन आस मन में लिये
डॉ. मंजूश्री गर्ग
दो दिल, मानों
गंगा के
दो किनारों पे
जलते
दो दिये।
एक प्रवाह
एक गति
एक आभा
एक मिलन आस
मन में लिये।
No comments:
Post a Comment