हिन्दी साहित्य
Saturday, September 3, 2016
तारे झिलमिलायें
चाँद मुस्कुराये
रात में तुम आये
मन भी गुनगुनाये।
- डॉ0 मंजूश्री गर्ग
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment