Friday, March 14, 2025

 

देखो इस सारी दुनिया को एक दृष्टि से

सिंचित करो धरा समता की भाव वृष्टि से

जाति भेद की, धर्म वेश की

काले गोरे रंग-द्वेष की

ज्वालाओं से जलते जग में

इतने शीतल बहो कि जितना मलय पवन है।

          द्वारिका प्रसाद माहेश्वरी


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