धूप बनकर फैल जाओ, चाँदनी बनकर जियो।
घुप अँधेरा छा न जाये, रोशनी बनकर जियो।।
फूल बन-बन कर बिखरती है, तपन देती नहीं।
आग बनकर खाक जीना, फुलझड़ी बनकर जियो।।
गिरिराज शरण अग्रवाल
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