Tuesday, March 4, 2025


धूप बनकर फैल जाओ, चाँदनी बनकर जियो।

घुप अँधेरा छा न जाये, रोशनी बनकर जियो।।


फूल बन-बन कर बिखरती है, तपन देती नहीं।

आग बनकर खाक जीना, फुलझड़ी बनकर जियो।।


            गिरिराज शरण अग्रवाल 

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