हिन्दी साहित्य
Wednesday, March 19, 2025
ताजी हवा के झोंके दम तोड़ते दरवाजों पे।
बंद कमरों की घुटन कम होती ही नहीं।।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment