धरती और आकाश दूर कहाँ हैं?
क्षितिज पे देखो कितने पास हैं वो!
रात और दिन दूर कहाँ हैं?
साँझ में देखो कितने पास हैं वो!
हार और जीत में दूरी बस एक पल की,
एक पल के इधर पास हैं दोनों।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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