Sunday, March 16, 2025


अरूण कपोलों पर लज्जा की

भीनी-सी मुस्कान लिए,

सुरभित श्वासों में यौवन के

अलसाए-से गान लिए,

 

बरस पड़ी हो मेरे मरू में,

तुम सहसा रसधार बनी,

तुममें लय होकर अभिलाषा

एक बार साकार बनी।

               भगवती चरण वर्मा

 

 

No comments:

Post a Comment