Friday, May 6, 2016




6.
परशुराम अवतार


डॉ0 मंजूश्री गर्ग


जमदग्नि और रेणुका के चारों पुत्रों में से परशुराम सबसे छोटे थे. वे बड़े क्रोधी, युद्ध-कर्ता और महान विजयी थे. उन्होंने इक्कीस बार देवताओं और ब्राह्मणों के द्रोही क्षत्रियों को मारकर उनके वंश का नाश किया था.
एक बार जमदग्नि ने रेणुका के पर-पुरूष की जल-क्रीड़ा पर आसक्त होने के कारण अपने पुत्रों को माता का वध करने की आज्ञा दी; किंतु बड़े तीन पुत्रों ने मना कर दिया, तब पिता की आज्ञा का पालन करते हुये परशुराम ने अपनी माता व बड़े तीन भाइयों का वध किया. प्रसन्न होकर जमदग्नि ने परशुराम से वर माँगने को कहा. तब परशुराम ने अपनी माता और भाइयों को पुनः जीवित होने का वर प्राप्त किया. उनकी कृपा से माता और तीनों भाई पुनः जीवित हो गये.

एक बार परशुराम की अनुपस्थिति में सहस्त्राबाहु के सौ पुत्र अपने पिता का बदला लेने के उद्देश्य से जमदग्नि ऋषि को मारकर, उनका सिर काटकर अपने साथ ले गये. जब परशुराम को यह समाचार ज्ञात हुआ तो उन्होंने उसी समय क्रोधावेश में आ यह प्रतिज्ञा की कि, “मैं पृथ्वी को विप्रद्रोही क्षत्रियों से हीन कर दूँगा.” इसी प्रतिज्ञा के फलस्वरूप परशुराम ने इक्कीस बार पृथ्वी को क्षत्रियों से हीन कर, कुरूक्षेत्र में नहाकर, उन राजाओं कि सारी पृथ्वी कश्यप-वंशी ब्राह्मणों को दान कर दी. 

No comments:

Post a Comment