कलमः कल और आज
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
कलम का मानव जीवन से अटूट रिश्ता है. कलम की ताकत को तलवार की ताकत से भी
ज्यादा कहा जाता है. हिन्दी के प्रसिद्ध कथाकार मुंशी प्रेमचंद को कलम का सिपाही
कहा जाता है. होल्डर, पेन, डॉटपेन, जेलपेन सब कलम के ही आधुनिक रूप हैं.
साठ-सत्तर के दशक में सरकंडे से बनी कलम को ही कलम कहा जाता था. सरकंडे को आगे
से छीलकर निब जैसा बनाया जाता था, फिर उसे स्याही में डुबोकर लिखा जाता था. बच्चे
सर्वप्रथम इसी कलम की सहायता से तख्ती पर लिखना सीखते थे. कलम को खड़िया के घोल
में डुबोकर तख्ती पर लिखा जाता था. तीसरी-चौथी कक्षा में आने पर बच्चों को कलम का
और परिष्कृत रूप होल्डर दिया जाता था. होल्डर छः-सात इंच लम्बा होता था, आगे निब
लगा होता था. इससे भी स्याही में डुबो-डुबोकर लिखा जाता था. साथ में बराबर स्याही की दवात( Inkpot ) रखनी होती थी, क्योंकि एक बार स्याही में डुबोने पर एक
अक्षर मुश्किल से लिखा जाता था. पाँचवी-छठी कक्षा में आने पर बच्चों को फाउंटेन
पेन दिया जाता था. यह चार-पाँच इंच के लगभग लम्बे होते थे, इनमें स्याही एक बार
में ही पर्याप्त मात्रा में भरने का प्रावधान होता था.आगे लिखने के लिये निब होती
थी और निब में लगातार स्याही आने के लिये जीभ लगी होती थी. कभी-कभी लिखते समय निब टूट
जाती थी तो उसको नये निब से बदल दिया जाता था. इस समय धीरे-धीरे डॉट पेन भी प्रचलन
में आ गये थे, किन्तु इन्हें वैधानिक मान्यता नहीं मिली थी.
स्कूल,कॉलेजका सब काम फाउंटेन पेन से ही करना होता था,ऑफिस का काम भी फाउंटेन पेन से ही
होता था. यहाँ तक कि डॉटपेन से किये गये हस्ताक्षर मान्य भी नहीं थे.अस्सी और नब्बे के दशक में कलम के विकास में बहुत तीव्र गति से परिवर्तन हुये.
न कलम का चलन रहा ना स्याही-दवात का. बच्चों को नर्सरी से ही लिखने के लिये पेंसिल
दी जाने लगी और पहली-दूसरी कक्षा से डॉटपेन. पहले कलम पूजनीय होती थी, उसे सँभालकर
रखा जाता था. आज का युग ( use & throw ) का है तो कलम भी बाजार में ( Disposable ) आने लगीं. जब से ( Gelpen ) बाजार में आये हैं ( Inkpen ) का अस्त्तित्व ही समाप्त
सा हो गया है. (Gelpen ) से बिल्कुल ऐसे लिखा जाता है जैसे (Inkpen) से.
आजकल बाजार में लगभग पाँच रूपये से लेकर पाँच सौ रूपये तक के डॉट पेन उपलब्ध
हैं, हर व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार खरीद सकता है. आजकल परीक्षाओं में भी
विद्यार्थी डॉटपेन से लिख सकते हैं और सभी सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं में
डॉटपेन से किये हस्ताक्षरों को वैधानिक मान्यता प्राप्त है.
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