दुःख के पर्वतोॆ में से जो सुख की धारा बहती है वही पयस्विनी होती है.
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
गुरू तो सिर्फ राह दिखा सकता है तुम्हें. यदि मंजिल पानी है तो चलना स्वयं ही होगा.
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
गुरू तो सिर्फ राह दिखा सकता है तुम्हें. यदि मंजिल पानी है तो चलना स्वयं ही होगा.
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
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