7.
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
त्रेता
युग में अयोध्यापुरी में राजा दशरथ के यहाँ श्री रामचंद्र ने जन्म लिया. श्री राम
ने बाल्यावस्था में ही अनेक राक्षसों को मारकर विश्वामित्र के यज्ञ की रक्षा की
थी. बिना परिश्रम श्री राम ने शिव-धनुष को तोड़्कर राजा जनक की पुत्री सीता से
विवाह किया था. अपनी माता कैकेयी व पिता की आज्ञा के अनुसार श्री राम चौदह वर्ष के लिये वन में गये, वहाँ अनेक राक्षसों को मारा व अनेक ऋषियों
को व अपने भक्तों को दर्शन देकर कृतार्थ किया.
रावण
द्वारा सीता हरण करने पर, श्री राम ने वानर-भालुओं
की मदद से लंका पर विजय प्राप्त की व रावण, कुम्भकर्ण,
मेघनाद, आदि महाप्रतापी राक्षसों को मारकर,
उनके भार से पृथ्वी को मुक्त किया. चौदह वर्ष बाद श्री राम अयोध्या
आकर राजगद्दी पर आसीन हुये. श्री रामचंद्र के न्यायोचित धर्म के कारण त्रेतायुग में
भी सतयुग का आभास होता था. इसीलिये श्री राम के राज्य-काल को ‘धर्म-राज्य’ या ‘राम-राज्य’
कहा जाता है.
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