Thursday, December 31, 2015

साल 2016 की हार्दिक शुभकामनायें

प्यारी सी मुस्कान
खुशियाँ हजार
मुठ्ठी में बंद लेकर
आया नया साल।
     
       डॉ0 मंजूश्री गर्ग

Thursday, December 17, 2015

हाइकु

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

बीज रूप में
संचित संस्कृति
हम सब में।

ईर्ष्या नहीं
प्रतिस्पर्धा करो
जीतोगे तुम।

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भाषा-  अक्षर-  भाषा की सबसे छोटी इकाई अक्षर होती है. वर्ण में स्वर मिलकर अक्षर बनता है. बिना स्वर का वर्ण आधा अक्षर माना जाता है. कभी-कभी स्वर बिना वर्ण के स्वतन्त्र  रूप से शब्द में आता है तब उसे अक्षर ही माना जाता है.
शब्द- सार्थक शब्दों के समूह को शब्द कहते हैं.
पद- शब्द अपने आप में एक छोटा पद है जो वाक्य में प्रयुक्त होता है.इसके अतिरिक्त ऐसे पद समूह को जो वाक्य में प्रयुक्त होने के योग्य होता है, पद कहा जाता है.
वाक्य- व्याकरण सम्मत निश्चित अर्थ की अभिव्यक्ति करने वाले शब्द-समूह को वाक्य कहा जाता है.

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Monday, December 14, 2015

वेदमाता गायत्री का जन्म

डॉ0 मंजूश्री गर्ग


एक बार ब्रह्मा जी पुष्कर तीर्थ में यज्ञ करने के लिये सरस्वती जी( ब्रह्मा जी की पत्नी ) की प्रतीक्षा कर रहे थे। यज्ञ का समय निकला जा रहा था और सरस्वती जी को आने में देर हो गयी। अतः ब्रह्मा जी ने गायत्री जी के साथ यज्ञ प्रारम्भ कर दिया। सरस्वती जी ने जब ब्रह्मा जी की पत्नी के रूप में गायत्री जी को देखा तो उन्हें बहुत क्रोध आया और उन्होंने ब्रह्मा जी को श्राप दिया कि संसार के मनुष्य तुम्हारी पूजा करना भूल जायेंगे। आज भी केवल पुष्कर तीर्थ में ही ब्रह्मा जी का मंदिर है। यज्ञ सम्पूर्ण करने के लिये उत्पन्न हुई गायत्री माँ को यज्ञ की देवी व वेदमाता के रूप में जाना जाता है। बिना गायत्री मंत्र( ऊँ भूर्भुवः स्वः तत्सवितु वरर्णेयं भर्गो देवस्य धीमहिः धियो योः नः प्रचोदयात्) के कोई भी यज्ञ सम्पन्न नहीं होता है। 

Monday, December 7, 2015

जिंदगी ख्बाबों का कलैण्डर
तारीखों से बदलते ख्बाब पर दिन।
      डॉ0 मंजूश्री गर्ग
जिंदगी ख्बाबों का कलैण्डर
ख्बाबों से बदलते ख्बाब हर दिन।
                  डॉ0मंजूश्री गर्ग

फूल भी देंगे, फल भी देंगे
तपी धूप में छाँव भी देंगे.
बेमौसम काटोगे तो
कैसे रैन बसेरा देंगे.
           डॉ0 मंजूश्री गर्ग

Saturday, December 5, 2015

अव्यय- जिसका क्षय या नाश न हो, अविकारी. जैसे- अव्यय आत्मा, अव्यय ब्रह्म, अव्यय शब्द.
संज्ञा, सर्वनाम, बिशेषण और क्रिया के शब्द - वचन, लिंग, काल, कारक, आदि के अनुसार भिन्न-भिन्न रूप में मिलते हैं किन्तु कुछ शब्द अविकारी होते हैं अर्थात् उनमें लिंग, वचन, काल, आदि के आधार पर कोई परिवर्तन नहीं होता है, जैसे- यथा, अति, प्रति, यद्यपि, तथापि, आदि. ऐसे शब्द अव्यय शब्द कहलाते हैं.
अव्ययी भाव- वह समास जिस में पहला पद अव्ययी हो, जैसे- प्रतिदिन, यथाशक्ति.

Friday, December 4, 2015

हाइकु

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

रिश्ते उलझे
तोड़ो या छोड़ो यूँ ही
बिन सुलझे।

अत्याचार
जो सहे, या जो करे
दोनों ही दोषी।

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