Tuesday, October 26, 2021


वह पुलकनि वह उठ मिलनि, वह आदर की भाँति।

यह पठवनि गोपाल की, कहू न जानि जाति।।


    नरोत्तम दास 

Monday, October 25, 2021

 


      

प्रेम एक दीप है

           जो रोशन करता है जीवन।

प्रेम एक नदी है

          जो भिगोती है हमें अन्दर तक।

प्रेम खुशबू है

         जो महकाती है हमें हर पल।

 

            डॉ. मंजूश्री गर्ग

 

 

 

 

 

Tuesday, October 19, 2021



शरद का मौसम सुहाना और पूर्णिमा की रात।

बिखर रही है चाँदनी  अम्बर से धरती तक।।

      डॉ. मंजूश्री गर्ग

Monday, October 18, 2021


 उजली रातें

बरसती चाँदनी

शीतल हवा।


                        डॉ. मंजूश्री गर्ग

Friday, October 15, 2021

 


अपना नाम, अस्तित्व, मिठास सब समाहित कर देती है।

ऐसा प्यार और कौन करेगा सागर से, जैसा नदी करती है।।

 

                             डॉ. मंजूश्री गर्ग

 


Wednesday, October 13, 2021

 



भवन सजे

बजें चौरासी घंटे

माँ मुस्कुरायें।


           डॉ. मंजूश्री गर्ग


बुलन्दशहर(उ. प्र.) मे देवी जी का प्रचीन मंदिर है जो भवन के नाम से विख्यात है. नवरात्रों मे मंदिर की छटा अद्भुत होती है. मंदिर के प्रांगड़ में चौरासी घंटे लगे हैं. शारदीय नवरात्रों में नवमी के दिन का महाकाली उत्सव यहीं से प्रारम्भ होता है.

Saturday, October 9, 2021

 



बैष्णों देवी

त्रिकूट पर्वत पे 

सदा विराजें।


              डॉ. मंजूश्री गर्ग

Tuesday, October 5, 2021



बैठकर मुस्का रही हो तुम

सच बहुत ही भा रही हो तुम।

बाँसुरी विस्मित समर्पित सी

गीत मेरा गा रही हो तुम।

एक अभिनव प्रेम का दर्शन

दृष्टि से समझा रही हो तुम।

                     डॉ. रोहिताश्व अस्थाना

  

Monday, October 4, 2021

 

हरषे मैय्या

रूनझुन पैंजनी

बजीं कान्हा की।


                       डॉ. मंजूश्री गर्ग

Saturday, October 2, 2021

 

कमल खिले

पंक में रहकर

पंक से दूर।


                डॉ. मंजूश्री गर्ग

Friday, October 1, 2021

नेह की नमी

       हँसी की धूप मिले

      खिले जीवन।


                                  डॉ. मंजूश्री गर्ग