Friday, October 15, 2021

 


अपना नाम, अस्तित्व, मिठास सब समाहित कर देती है।

ऐसा प्यार और कौन करेगा सागर से, जैसा नदी करती है।।

 

                             डॉ. मंजूश्री गर्ग

 


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