Tuesday, October 5, 2021



बैठकर मुस्का रही हो तुम

सच बहुत ही भा रही हो तुम।

बाँसुरी विस्मित समर्पित सी

गीत मेरा गा रही हो तुम।

एक अभिनव प्रेम का दर्शन

दृष्टि से समझा रही हो तुम।

                     डॉ. रोहिताश्व अस्थाना

  

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