Sunday, October 30, 2016

दीपावली-सामाजिक पर्व

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

दीपावली
पर्व है स्वच्छता, सुन्दरता और उज्जवलता का
स्वच्छ आँगन सजे रंगोली से।

महल और झोंपड़ी
रोशन दिये की लौ से
बच्चे-बूढ़े सभी के मन
मिठास बसी बतासे सी
सभी के मन छूट रहीं
फुलझड़ियाँ खुशियों की

खील सी खिलखिलाती रहे
जिंदगानी सभी की
कामना यही माँ लक्ष्मी की।
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Thursday, October 27, 2016

हाइकु

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

कार्तिक मास
सजी दीपमालायें
मावस-रात।

तोरण द्वार
रंगोली आँगन में
सजी दीवाली।

द्वार-द्वार पे
सजी दीपमालायें
दीवाली रात।

उत्सव-पल
खुशी नहीं समाती
मन-आँगन।

दीवाली-रात
धरती से गगन
सजी रोशनी।

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Thursday, October 20, 2016

खिलने की उम्र में, बंदिशें हजार थीं
अब कुंद है कली तो, कोशिशें नाकाम हैं।
        
               डॉ0 मंजूश्री गर्ग

Saturday, October 8, 2016

हाइकु

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

बाँटो जितना,
विद्या धन उत्तम,
बढ़े उतना ।

गन्ने समान
रिश्ते, गाँठ जहाँ,
वहाँ न रस ।

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Friday, October 7, 2016







स्वस्तिक

स्वस्तिक = सु + अस +
सु = अच्छा
अस = सत्ता या अस्तित्व
= करने वाला

अर्थात् स्वस्तिक का अर्थ है अच्छा या मंगल करने वाला. इसीलिये सभी मांगलिक अवसरों पर स्वस्तिक बनाया जाता है और उसकी पूजा की जाती है. स्वस्तिक की चार भुजायें चार दिशाओं की प्रतीक हैं, जो चारों दिशाओं में मंगल और कल्याण करने की भावना को प्रदर्शित करती हैं. इस प्रकार स्वस्तिक में वसुधैव कुटुम्बकम् की भावना भी निहित है.