Sunday, December 31, 2023


नववर्ष 2024 की हार्दिक शुभकामनायें


नया प्रातः है, नई बात है,

नई किरण है, ज्योति नई।

नई उमंगें, नई तरंगें,

नई आस है, सांस नई।


             डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Saturday, December 30, 2023


कौन रोकेगा?

सूरज की चमक

औ' कब तक।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Friday, December 29, 2023

 

    

डायनासोर

डॉ. मंजूश्री गर्ग 

डायनासोर से

कंक्रीट के जंगल

धीरे-धीरे खाने लगे

नदी से रेत

पर्वत से पत्थर

वन से लकड़ी

खानों से लोहा।

 

धीरे-धीरे धरती पे

बढ़ने लगा प्रकृति का कोप

आने लगीं बाढ़ें

होने लगे झंझावात

भूकंप, सुनामी

रोज की सी बातें।

 

 

 

 


Thursday, December 28, 2023


शिशिर ऋतु

कपँकपाती  सर्दी

मन डरा सा।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग

Wednesday, December 27, 2023


नदी मिले तो

सागर हरषाये

महामिलन।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Tuesday, December 26, 2023


 लालिमा लिये

साँझ का सूरज औ'

ज्यादा दमके।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग

Sunday, December 24, 2023


आँख-मिचौली खेलोगे

यूँ ही कब तक प्रिये!

एक दिन करना ही होगा

समर्पण तुमको प्रिये!

 

      डॉ. मंजूश्री गर्ग

  

Saturday, December 23, 2023


क्रिसमस ट्री,

केक औ' उपहार

क्रिसमस में।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Friday, December 22, 2023


छोटा सा दिन

लम्बी होती रातें

दिसम्बर में।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Thursday, December 21, 2023


रूप, रंग, आभा पाकर,

बहक रहे हैं खुशबू से।

भूल गये हैं उनको,

सिंचित हुये थे जिनसे।

 

      डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Wednesday, December 20, 2023


केसर बसी

मानों मन में मेरे

तुमसे मिल।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Tuesday, December 19, 2023


हवायें चलें

या बरसें बादल

छँटेगी धुंध।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग

Monday, December 18, 2023


चाह ले मन

जूझना हर पल

हर किसी को।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Sunday, December 17, 2023


रंगों पे रंग

फूलों पे तितलियाँ

उड़ती हुई।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Saturday, December 16, 2023


नन्हें कदम

थाम के हाथ माँ का

बढ़ने लगे।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Friday, December 15, 2023


जो पल जिया

खुशी से, अपना है।

बाकी बेगाने।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Thursday, December 14, 2023


युग बदलें

सिलसिले प्यार के

चलते रहें।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Wednesday, December 13, 2023

 

मैं, मेरा, हमारा’…

डॉ. मंजूश्री गर्ग

 

मैं, मेरा, हमारा, ये शब्द नहीं हैं,

इनमें समाया है, हमारा पूरा जीवन।

हमारा व्यक्तित्व, हमारा कृतित्व

हमारे रिश्ते, हमारा प्यार,

हमारा प्यार जो दिन-प्रतिदिन गहरा होता जाता है

और हमारे पूरे जीवन को अपनी लातिमा से भर देता है,

अपनी प्यारी सी खुशबू से महका देता है जीवन।

 

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मैं जुगनू हूँ, अपनी ही रोशनी से जगमगाती हूँ,

उधारी रोशनी नहीं ली, सूरज से तारों की तरह।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Monday, December 11, 2023


पुरस्कार हों

सम्मानित हमसे

तभी है यश।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Sunday, December 10, 2023


दादा ने जिया

तीसरा बचपन

पोती के साथ।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Saturday, December 9, 2023


सत्य पे टिका

दोलायमान धर्म

डिगता नहीं।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Friday, December 8, 2023


गेरूआ वस्त्र

काले धन से सजे

संत आश्रम।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Thursday, December 7, 2023


 गीत

डॉ. मंजूश्री गर्ग


सूरज ढ़लने लगा, ढ़लने लगी है शाम।

श्याम रात मिलन की आने लगी है।


दिन-भर तो बाँसुरिया तेरी

हर किसी का मन बहलाये

रात गये जब बजे बाँसुरिया

मेरे प्यार के गीत सुनाये।


रंग-बिरंगे फूल बागों के

मधुपों का मन बहलाये

रात गये जब खिले है रानी

तेरा-मेरा मन लुभाये।

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Wednesday, December 6, 2023


अनुशासन

सिखाता है संयम

नहीं बंधन।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Tuesday, December 5, 2023


     श्री कृष्ण-राधा प्रेम-प्रसंग

डॉ. मंजूश्री गर्ग

श्री कृष्ण जब लगभग पाँच वर्ष के थे, तो उनके माता-पिता यशोदा और नंद बाबा कंस के अत्याचारों से तंग आकर अन्य गोप-गोपिकाओं के साथ गोकुल छोड़कर वृंदावन में आ बसे. वृंदावन में बहुत ही सुंदर वन थे, छोटी-छोटी गलियाँ थीं, पास ही यमुना नदी बहती थी. वृंदावन के पास ही बरसाने गाँव था, जहाँ बृषभानु और कीर्ति की पुत्री राधारानी रहती थी. राधारानी प्रायः अपनी सखियों के संग खेलने के लिये वृंदावन आती थी. श्री कृष्ण की नटखट शरारतें; जैसे---माखन चोरी, मटकी फोड़ना, आदि आस-पास के गाँवों में चर्चा के विषय बने हुये थे. राधा के मन में भी कान्हा को देखने की जिज्ञासा थी.

     एक बार श्रीकृष्ण पीताम्बर पहने, पटुका कमर में बाँधे, मोर-मुकुट धारण किये यमुना तट पर अपने सखाओं के साथ खेल रहे थे. तभी राधारानी जिनकी आयु लगभग आठ बरस की होगी, अपनी सखियों के साथ यमुना तट पर स्नान करने आयीं. श्री कृष्ण और राधा की परस्पर आँखें मिलीं और दोनों एक दूसरे को देखते ही रहे. दोनों के हृदय में एक दूसरे के प्रति प्रीति जाग उठी. तब बाँके बिहारी ने हँसकर राधा से उनका नाम पूछा----हे सुंदरी! तुम कौन हो, तुम्हारा नाम क्या है और किसकी पुत्री हो? तुम्हें पहले तो यहाँ नहीं देखा.तब श्री कृष्ण के प्रेम भरे प्रश्नों को सुनकर राधारानी ने उत्तर दिया, ‘ मैं वृषभानु-कीर्ति की पुत्री राधा हूँ, पास के गाँव बरसाने में रहती हूँ और प्रायः अपनी सखियों के साथ यहाँ आया करती हूँ. मैंने बहुत दिनों से नंदजी के बेटे के बारे में सुन रक्खा था कि वे बड़े ही नटखट हैं, माखन चुराते हैं तो लगता है वो तुम्हीं हो.तब श्री कृष्ण ने हँसते हुये कहा, ‘परंतु मैंने तुम्हारा तो कुछ सामान चोरी नहीं किया. आओ! हमसे मित्रता कर लो, दोनों साथ-साथ खेलेंगे.राधारानी अंतःकरण में श्री कृष्ण की बातों से मोहित हो रही थीं, उन्होंने श्री कृष्ण से कहा, ‘अब देर हो रही है, हमें घर वापस जाना है. तुम सायं हमारे यहाँ गाय दुहने आ जाना.जब श्री कृष्ण राधा के यहाँ गाय दुहने गये तो वहाँ एकांत में राधा और कृष्ण ने प्रेमपूर्वक बातें की. दिन-प्रतिदिन राधा और कृष्ण किसी ना किसी बहाने एक-दूसरे से मिलने लगे. कभी वृंदावन में तो कभी बरसाने में. दोनों की परस्पर प्रीति देखकर सभी ब्रजवासी बहुत सुख पाते थे.

    जब श्री कृष्ण मुरली बजाते थे , तो राधा मंत्र-मुग्ध सी मुरली की धुन में खो जाती थीं. कभी-कभी राधा को लगता था कि कान्हा मुझसे ज्यादा बाँसुरी से प्रेम करते हैं. लेकिन यदि कुछ समय कान्हा बाँसुरी नहीं बजाते थे तो राधा बेचैन हो जाती थीं. सावन के महीने में ब्रज में जगह-जगह झूले पड़ जाते थे. जहाँ राधा-कृष्ण प्रेम- पूर्वक झूला झूलते थे. सखियाँ उन्हें झूला झूलाने में आनंद का अनुभव करती थीं. कभी कृष्ण स्वयं फूल तोड़्कर राधा का फूलों से श्रंगार करते, कभी राधा अन्य सखियों के साथ मिल कान्हा का सखी रूप में श्रंगार करतीं. एक बार श्री कृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात को महारासका आयोजन किया और अन्य गोपियों के साथ कृष्ण और राधा ने महारास में आनंद मग्न होकर नृत्य किया.

  एक बार श्री कृष्ण अन्य गोपियों के साथ राधा को अपने घर ले गये. नंद बाबा और यशोदा राधा से मिलकर बहुत प्रसन्न हुये. विदा करते समय यशोदा ने राधा को उपहार भी दिये. ऐसे ही एक बार जब श्री कृष्ण राधा के घर गये तो बृषभानु और कीर्ति ने उनका हार्दिक स्वागत किया और भेंट आदि देकर विदा किया. वास्तव में राधा और कृष्ण के माता-पिता ही नहीं, वरन सभी ब्रजवासी हृदय से चाहते थे कि कृष्ण और राधा की जोड़ी बहुत ही मनोरम है. दोनों का विवाह एक-दूसरे से होना ही चाहिये. किंतु विधाता को कुछ और खेल खेलना था.

   एक दिन कंस ने अक्रूर के द्वारा बलराम और श्री कृष्ण को मथुरा बुलाया. कृष्ण और बलराम का मथुरा जाने का समाचार सुनकर नंद-यशोदा ही नहीं, सब गोपियाँ व ग्वाले विरह सागर में डूब गये. गोपियों ने श्री कृष्ण को रोकने के बहुत प्रयत्न किये, लेकिन श्री कृष्ण कहाँ रूकने वाले थे उन्हें तो आगे अनेक लीलायें करनी थी. तब सब गोपियों ने मिलकर राधा से कहा, “राधा रानी! तुम यदि श्री कृष्ण को रोकोगी, तो वो अवश्य रूक जायेंगे. तुम्हारी बात तो नहीं टाल सकते.” तब राधा ने कहा, “श्री कृष्ण का कर्मक्षेत्र बहुत बड़ा है. मैं उनके कर्मक्षेत्र की बाधा नहीं शक्ति हूँ. वो जहाँ भी रहें मुझसे अलग नहीं हो सकते. मेरे रोम-रोम में श्री कृष्ण बसे हैं, जब भी दर्पण देखती हूँ तो नयनों में श्री कृष्ण की ही मूरत दिखाई देती है. चाँद की चाँदनी तो सारी पृथ्वी पर फैलती है, हमारा आँचल जितना बड़ा होता है उतनी ही हमें मिलती है. इसी तरह श्री कृष्ण का प्रेम फलक बहुत विस्तृत है, हमारे आँचल में जितना आना था आ गया.” इस तरह राधा ने न तो श्री कृष्ण को गोपियों की तरह रोका, न टोका, बस एक टक श्री कृष्ण के रथ को जाता हुआ देखती रहीं. तब श्री कृष्ण ने अक्रूर से रथ रोकने के लिये कहा और राधा से मिलने आये. श्री कृष्ण का मन भी राधा से दूर जाने पर विचलित हो रहा था. दोनों के गले रूँधे हुये थे. श्री कृष्ण और राधा एक-दूसरे से कुछ भी नहीं कह पाये बस एक दूसरे को निहारते रहे; फिर जाते समय श्री कृष्ण ने अपनी मुरली राधा को दे दी. राधा ने मुरली अपने हृदय से लगा ली.

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Monday, December 4, 2023


मन के आँगन, जब दीप प्रेम का जला।

आलोकित  सारा  जीवन  हो गया।।

 

                                       डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Sunday, December 3, 2023


कही-अनकही बातें,

आधी-अधूरी मुलाकातें,

कोरे दिन औ कोरी रातें

बहुत कुछ लिख जाती हैं ये यादों की स्याही।


             डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Saturday, December 2, 2023

बर्फीली हवा

मैदानी इलाकों में

उतर आई।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Friday, December 1, 2023


हरी घास पे

शबनम के मोती

लगें सुहाने।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग