Thursday, February 29, 2024


पतझड़ है, आँधियाँ नहीं, गिरायेंगी सूखे पात ही।

नव कोंपलें मुस्कायेंगी, पहनेंगे पेड़ नव दुकूल।।


डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Wednesday, February 28, 2024


प्रीत की रूनझुन सी पायल बँधी जिंदगी से।

मुस्कुराने लगी सुबह, गुनगुनाने लगी रात।।


डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Tuesday, February 27, 2024


बनोगे संत

अहंकार अपना

तोड़ो तो सही।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Monday, February 26, 2024


पक्षी समूह

तीर सा बनाकर

उड़ा आकाश।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Sunday, February 25, 2024


माघ बरसे

मानों गेहूँ के खेतों

सोना बरसे।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Thursday, February 22, 2024


अश्रु जो बह नहीं पाये,

शब्द रूप में मोती बन गये।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Wednesday, February 21, 2024


तेरी बाहों के घेरे में,

आबद्ध है मेरा सारा जीवन।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 


प्रभुता छाये

देने बढ़े जो हाथ

मुख-मंडल।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Sunday, February 18, 2024


 बच्चे आँगन

फुलवारी है खिली

महके मन।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग

Saturday, February 17, 2024


सजा दो अब

ऋतुराज बसंत

जीवन-डाली।


                     डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Friday, February 16, 2024


बसंत बेला

कोमल किसलय 

मुस्काने  लगे।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग


 

Thursday, February 15, 2024


आँधिंयों में दीपक की लौ को देखो।

बारिशों में नदी के वेग को देखो।

उछाल के देखो गमों की सौगातें।

व्यक्तित्व में निखार फिर और देखो।।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Wednesday, February 14, 2024


बदलते मौसम का हाल क्या कहिये,

सेंसेक्स की तरह चढ़ता-उतरता है पारा।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Tuesday, February 13, 2024


14 फरवरी, 2024 बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें




शत्-शत् नमन माँ शारदे!

अर्पित तुम्हें मेरी भावाँजलियाँ

मेरी काव्याँजलियाँ।

शब्द-शब्द में स्वर्णिम आभा

भाव-भाव में अमृत रस घोला।

भाव, विभाव, अनुभाव

सब तुम्हारे अनुगामी हैं।

मेरी कृतियाँ अर्पित तुम्हें!

शत्-शत् नमन माँ शारदे!

 

     डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Monday, February 12, 2024


पग धूलि से

माँग सजूँ अपनी

चाह मन में।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Sunday, February 11, 2024


'रक्षक' थे जो

'भक्षक' वही बने

कलयुग में।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Saturday, February 10, 2024


नयन मिले

प्रीत पले दोनों में

मन मुस्काये।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Friday, February 9, 2024


आज छत पर देखा तुम्हें, तो

लगा धूप में चाँदनी खिली हो।

 

            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Thursday, February 8, 2024

 

डॉ. उदयभानु हंस


जन्म-तिथि-  2अगस्त, सन् 1926 ई. पंजाब, पाकिस्तान

पुण्य-तिथि-  26 सन् फरवरी ई. 2019 ई. हिसार. भारत

 

उदयभानु हंस हिंदी के मुख्य कवि थे और हिंदी में रूबाई के प्रवृत्तक कवि, जो रूबाई सम्राट के रूप में लोकप्रिय हुये। उनकी रूबाईयों का संग्रह हिन्दी रूबाईयां सन् 1952 ई. प्रकाशित हुआ, जो हिन्दी पद्य साहित्य में नया और निराला प्रयोग था। उदयभानु हंस जी का जन्म पाकिस्तान में हुआ, सन् 1947 ई. में भारत के विभाजन के बाद उनका परिवार भारत के पंजाब प्रान्त के हिसार जिले में आ गया. जब सन् 1966 ई. में हरियाणा अलग राज्य बना तो उदयभानु हंस को हरियाणा राज्य का राज्य कवि घोषित किया गया।

 

उदयभानु हंस ने मिडिल तक उर्दू-फारसी पढ़ी और घर में उनके पिता हिन्दी और संस्कृत पढ़ाते थे। उनके पिता जी हिन्दी और संस्कृत के विद्वान थे और कवि भी थे। बाद में हंस जी ने प्रभाकर और शास्त्री की शिक्षा प्राप्त की और हिन्दी में एम. ए. किया। सन् 1994 ई. में हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग द्वारा प्रयागराज में उन्हें विद्या वाचस्पति (पीएच. डी) की मानद् उपाधि से सम्मानित किया गया। उदयभानु हंस ने पढ़ाई पूरी करने के बाद एक शिक्षक के रूप में कार्यभार सँभाला और हिसार के एक सरकारी कॉलेज से प्रिंसिपल के रूप में सेवा निवृत्त हुये। वह चंड़ीगढ़ साहित्य अकादमी के सचिव भी रहे और हरियाणा साहित्य अकादमी की सलाहकार समिति के सदस्य भी थे।

 

उदयभानु हंस की प्रकाशित रचनायें-

1.      भेड़ियों के ढ़ंग

2.      हंस मुक्तावली

3.      संत सिपाही

4.      देसन में देस हरियाणा

5.      शंख और शहनाई

उदयभानु हंस को सन् 1968 ई. में गुरू गोविंद सिंह के जीवन पर आधारित महाकाव्य संत सिपाही के लिये उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा निराला पुरस्कार से सम्मानित किया गया। सन् 1992 ई. में भारत के राष्ट्रपति द्वारा दिल्ली में गीत गंगा सम्मान से पुरस्कृत किया गया। सन् 1994 ई. में हिमाचल प्रदेश की प्रमुख संस्था हिमोत्कर्ष द्वारा अखिल भारतीय श्रेष्ठ साहित्यकार के सम्मान से सम्मानित किया गया। सन् 2009 ई. में हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा हरियाणा साहित्य रत्न सम्मान से सम्मानित किया गया। उनके सम्मान में प्रत्येक वर्ष उदयभानु हंस पुरस्कार दिये जाते हैं।

उदयभानु हंस की रूबाईयाँ-

 

मँझधार से बचने के सहारे नहीं होते,

दुर्दिन नें कभी चाँद सितारे नहीं होते,

हम पार भी जायें तो भला किधर से,

इस प्रेम की सरिता के किनारे नहीं होते।

1.

 

अनुभूति से जो प्राणवान होती है,

उतनी ही वो रचना महान होती है।

कवि के ह्रदय का दर्द, नयन के आँसू,

पीकर ही तो रचना जवान होती है।

 

          उदयभानु हंस

 

 

 

Wednesday, February 7, 2024


 चमकेगी ही 

विरोधों में प्रतिभा

जैसे दीपक।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग

Tuesday, February 6, 2024


अँजुरी जल

गंगा का अभिषेक

गंगा जल से।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Monday, February 5, 2024

 

स्नेह का धागा, संवाद की सुईं और क्षमा की दो बूँदें

जीवन की चादर में उधड़ते रिश्तों की तुरपाई कर देती हैं।


      अरूण गोविल

Sunday, February 4, 2024


कब जिया है

जड़ से अलग हो

कोई भी पौधा।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Saturday, February 3, 2024

 


जहाँ तुम्हारे चरण पड़ें, है वहीं मेरा सुखधाम।

तुम कृष्ण रूप में आओ या आओ बन राम।।

हाथ तुम्हारे सजे बाँसुरिया या सजे धनुष-बाण।

बाल रूप में आओ तुम या आओ बन युवा।।

राधा साथ आओ तुम या आओ साथ सीता।

जहाँ तुम्हारे चरण पड़ें, है वहीं मेरा सुखधाम।

 

            डॉ. मंजूश्री गर्ग

 

  

Friday, February 2, 2024


चाँद कब अपनी बात कहता है, बस खामोश रहता है।

खामोशी में अपनी बात कहता है औ' उद्विग्न मन को शांत करता है।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Thursday, February 1, 2024


सहज मन

समर्पित तुमको

सारा जीवन।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग