Thursday, July 29, 2021


बे-वक्त अगर जाऊँगा सब चौंक पड़ेंगे।

इक उम्र हुई दिन में कभी घर नहीं देखा।


                                           बशीर बद्र 

Monday, July 26, 2021


तेरी बाहों में

सावन के झूलों की

पेंगे मिली हैं।


                डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Thursday, July 22, 2021


सूर के पद

तुलसी की चौपाई

युगों ने गायी।


                             डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Tuesday, July 20, 2021


 

एक तुम्हारे आ जाने से

कितने मौसम बदल गये।

आँखों की बरसात थम गयी

अधरों पे धूप खिल गयी।

प्यार की बयार क्या बही

आँगन खुशबू बिखर गयी।

 

              डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Monday, July 12, 2021

 


ख्बाबों में गुम थे कि सहसा तुम आ गये।

खड़े सोचते रहे कि ख्बाब है या हकीकत।

 

                      डॉ. मंजूश्री गर्ग

 

 


Saturday, July 10, 2021

 

सुबह-सबेरे आशा की किरण कहती है,

बरसेंगे आज उम्मादों के बादल।

दिन कड़ी धूप में गुजर जाता है,

शाम होते ही फिर छा जाते उदासी के बादल।


                                      डॉ. मंजूश्री गर्ग

Sunday, July 4, 2021


जादुई खेल

चमत्कार हाथों का

धोखा आँखों को।


                             डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Saturday, July 3, 2021


उत्सव वाले दिन कहाँ?

 

दो-चार फूलों के खिलने से

उपवन नहीं सजा करते।

 

दो-चार दीपक के जलने से

दीपावली नहीं सजतीं।

 

दो-चार बूँदों के गिरने से

बरसात नहीं होती।

 

दो-चार जन के सजने से

उत्सव नहीं मना करते।

                    डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Thursday, July 1, 2021

 

कोमल तंतु

मुड़ जायेंगे, पर

टूटेंगे नहीं।


                           डॉ. मंजूश्री गर्ग