Thursday, March 31, 2022



फिर किसी ने की है शरारात, हवाओं में घोल दी है शराब।

भौंरों  की  बात  और है, फूल भी बहक रहे हैं आज।

 

                 डॉ. मंजूश्री गर्ग

Tuesday, March 29, 2022


हों खुशी के पल या गम के

छलकती ही है मन की गागर।

               डॉ. मंजूश्री गर्ग

  

Wednesday, March 23, 2022


बसन्ती मौसम

पीली-पीली सरसों

मन-भावन।


                      डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Monday, March 21, 2022


विश्व जल दिवस


जल जीवन

जल से ही कल हैं

हम सब ही।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 


नजर मिला के मिरे पास आ के लूट लिया।

नजर हटी थी कि फिर मुस्कुरा के लूट लिया।।


                   जिगर मुरादाबादी 

Saturday, March 19, 2022


मुँह से कुछ बोला नहीं और रहा वो मौन

नयनों से सब कह गया जाने वो था कौन।


             जगदीश तिवारी 

Wednesday, March 16, 2022


छा गई फिर बसन्त की हलचल

आओ खुशियों से हम भरें आँचल।

वे जो आकाश को छिपाये थे

हट गये आज साँवले बादल।

धूप छिपकर कहीं जो बैठी थी

उसकी फिर से छनक उठी पायल।

                    बंद कलियों का गंधमय यौवन

खुलने-खिलने को हो रहा चंचल।

                              -पुष्पा राही

 

 

  

Monday, March 14, 2022


हिरणी जैसे

ढ़ूँढ़ती तुम्हें

यहाँ-वहाँ।

तुम तो 

बसे हो

मन में मेरे।


                       डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Friday, March 11, 2022


आज मिले हैं मेरे.........

डॉ. मंजूश्री गर्ग

 

 

आज मिले हैं मेरे पिया से नयन।

             सखि री! मेरा

              मन थिरके।

              तन थिरके।

 

बिन मौसम कोयल की कुहू-कुहू।

             गूँजे मन मेरे।

             सखि री! मेरा

              मन थिरके।

              तन थिरके।

 

 बिन मेंहदी रची हथेली।

           महके मन मेरे।

             सखि री! मेरा

              मन थिरके।

              तन थिरके।

 

 

      बिन दीपक रोशन आँगन।

             उजाला मन मेरे।

             सखि री! मेरा

              मन थिरके।

              तन थिरके।

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Thursday, March 10, 2022

 

पिता समान

निकलते झरने

पत्थरों से ही।


                    डॉ. मंजूश्री गर्ग

Wednesday, March 9, 2022


सागर तट

एक बूँद मुस्काई

सीपी से मिल।


                             डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Tuesday, March 8, 2022


दो पल साथ

मेंहदी की तरह

रंगा जीवन।


                      डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Monday, March 7, 2022

8 मार्च, 2022 अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर हार्दिक शुभकामनायें

नारी हो----

 डॉ. मंजूश्री गर्ग

नारी हो, सबसे करती हो प्यार,

स्वयं से भी सीखो करना प्यार।

 

नारी हो, सबका करती हो सम्मान,

स्वयं का भी सीखो करना सम्मान।

 

तभी परिवार, समाज, देश, विश्व

तुम्हें देंगे प्यार और सम्मान।


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Sunday, March 6, 2022




आम्र-मंजरी

कामदेव के बाण

पंचबाणों में।


                                  डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Friday, March 4, 2022


साँझ का तारा हूँ मैं, भोर का नहीं

डॉ. मंजूश्री गर्ग

 

साँझ का तारा हूँ मैं, भोर का नहीं

जाग सको तो जागो एक रात संग मेरे।

देखो प्रकृति सुन्दरी करती है कैसे,

विहान* के स्वागत की तैय्यारी।

चुपचाप रात-रानी खिला देती है।

सोई कलियों में नवरंग, सौरभ भर देती है।

गगन पटल पर आँकती चित्र रेखायें,

आयेंगे सूरज राजा भरने रंग उनमें।

सोये पक्षियों को जगा नव राग सिखा देती है।

आओ! जागो एक रात संग मेरे।

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*सबेरा

  

Wednesday, March 2, 2022


गीत

 

डॉ. मंजूश्री गर्ग

 

चाँदनी रात में फिर-फिर के आया करो,

सो भी जाऊँ मैं अगर, तुम जगाया करो,

      गीत प्यार के गाया करो।

 

हर-सिंगार सी बिछकर जीवन में,

सूने मन को महकाया करो,

      गीत प्यार के गाया करो।

 

निर्झर सी बहकर जीवन में

तन की  तपन बुझाया करो,

     गीत प्यार के गाया करो।

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