मैं जुगनू हूँ अपनी ही रोशनी से जगमगाता हूँ।
उधारी रोशनी नहीं ली सूरज से तारों की तरह।।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
दूर रहने से ना नजदीकियाँ कम होंगी।
आप बढ़ाये दूरियाँ नजदीकियाँ बढ़ जायेंगी।।
मंजिल पानी है ‘गर
अवरोधों से डरना कैसा!
कौन है? जिसने ताप सहा नहीं
सूरज जैसा चमका जो भी।।
जीवन में जब तुम आये।
मन द्वारे पे सजी रंगोली।।
10 अप्रैल, 2022, राम जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनायें
मृदु मुस्कान मुख पे,
धनुष-बाण हाथ में,
बाल-छवि राम की,
सोहे दशरथ के आँगन।
जमीं पर नहीं पड़ते हैं कदम हमारे,
अरमानों को पंख लगे हैं आज।
आकाश को छू लेंगे एक दिन हम,
चाहतों में नया रंग भरा है आज।।
कागज कलम ने मन के भावों को चुरा लिया।
कब शब्दों में व्यक्त हो गये पता ही ना चला।।
बासंती नवरात्र की बहुत-बहुत शुभकामनायें
माँ दुर्गा पूरी करें सब मनोकामनायें ।।