Tuesday, January 31, 2017


बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें

शत-शत नमन माँ शारदे!
जन्म-दिवस है आपका
जन्म-दिवस सब कलाओं का
जन्म हो हम सबके मन
नव राग, नव बसंत का।
        
      डॉ0 मंजूश्री गर्ग

Sunday, January 29, 2017



फुलौरा दौज

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

फागुन मास में शुक्ल पक्ष की दौज फुलौरा दौज कहलाती है. सारा वातावरण बसंत के रंग में सरोबार है. होली की तैय्यारी चल रही है. शहर के किसी बड़े चौक पर होलिका दहन के लिये होली की स्थापना की गयी है.सूखे लक्कड़ एकत्र किये जा रहे हैं. घर पर माँ, बहनें, भाभियाँ मिलकर बुरकले बनाने में व्यस्त हैं, ताकि होली के दिन होली की पूजा के समय बुरकलों की माला होलिका को पहना सकें. माला में पेन्डेन्ट की जगह गोबर की ही ढ़ाल बनाकर पिरो दी जाती है. लेकिन इन सबसे पहले होलिका के स्वागत के लिये फुलौरा दौज के दिन बालिकाओं की टोली हाथ में फूलों भरी टोकरी लेकर सुबह-सबेरे निकल पड़ती हैं. पहले होलिका दहन के स्थान पर फूल चढ़ाती हैं, फिर आकर अपने घर के आँगन में फूलों की पंखुरियाँ सजाती हैं. फिर आस-पास मित्र घरों में व सगे-संबंधियों के घर जा-जाकर उनके आँगन में फूलों की पंखुरियाँ सजा देती हैं. बड़े बालिकाओं को उपहार देते हैं.
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Saturday, January 28, 2017

सहेजा

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

सहेजा शब्द सहेजना से बना है जिस का अर्थ है सँभालकर रखना. सामान्यतः सहेजा शब्द दही के लिये प्रयोग होता है. जब हमें दूध का दही बनाना होता है तो हम उसमें थोड़ा सा दही मिला देते हैं यही थोड़ा सा दही सहेजा कहलाता है. यदि हम दही प्रयोग करते समय थोड़ा सा दही ना बचायें तो आगे स्वय दही बनाना मुश्किल हो जायेगा. फिर हमें या तो बाजार से दही लाना होगा या किसी पड़ोसी से सहेजा लेना होगा.
दही तो एक उदाहरण है. यदि हमें किसी भी वस्तु को पुनः प्राप्त करना है तो उसे सहेज कर रखना होता है- जैसे बिना बीजों को सहेजे आगे नई पैदावर उत्पन्न करना मुश्किल है. वस्तुयें ही नहीं संबंधों को भी सहेज कर रखना होता है जो हमारे सुख-दुःख में काम आते हैं.
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Friday, January 27, 2017

गीत
डॉ0 मंजूश्री गर्ग

बसंत ऋतु है आई पिय
देखो कोयल गीत गाने लगी।

खेतों में सरसों सरसाई
बागों में बौराई अमराई
मन की बात जानो पिय
देखो चूनर लहराई।
धीरे-धीरे बात अधर पै आने लगी
देखो कोयल गीत गाने लगी।

फूलों ने खुशबूयें लुटाईं
तितली उड़ती ले अंगड़ाई
जो तुमको मदहोश कर दे पिय
ऐसी मेंहदी हमने रचाई।
धीरे-धीरे रात गहराने लगी
देखो कोयल गीत गाने लगी।

Wednesday, January 25, 2017

अखिल भारतीय कवि सम्मेलन-2017

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

राष्ट्र-पर्व-68वें गणतन्त्र दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित अखिल भारतीय कवि सम्मेलन, 24 जनवरी,2017 को हिन्दी भवन, गाजियाबाद में सम्पन्न हुआ. मुख्य अतिथि श्री लाल कृष्ण आड़वाड़ी जी थे. कवि सम्मेलन के आयोजक कला परिषद् ने इस वर्ष का कवि सम्मेलन डॉ0 कुँअर बेचैन के नाम किया.1 जुलाई, 2017 को डॉ0 कुँअर बेचैन अपने जीवन के मधुर 75 वर्ष पूरे करने वाले हैं, इसीलिये यह वर्ष डॉ0 कुँअर बेचैन के सम्मान में अमृत महोत्सव वर्ष के रूप में मनाने का निश्चय किया गया है. डॉ0 कुँअर बेचैन गजल-सम्राट के नाम से जाने जाते हैं, आपने अनेक मधुर गीतों की भी रचना की है. डॉ0 कुँअर बेचैन ने सुर-संकेत नाम से एक पत्रिका प्रकाशित की थी, जिसके मुखपृष्ठ पर बनाये गये रेखाचित्र आपके द्वारा निर्मित हैं. डॉ0 कुँअर बेचैन मुख्यतः श्रृंगार रस के कवि हैं. जिनकी काव्य-यात्रा सन् 1965 ई0 में गाजियाबाद से ही शुरू हुई थी. मंच पर आसीन कवि चेतन आनन्द डॉ0 कुँअर बेचैन के ही शिष्य हैं. श्री सुरेन्द्र शर्मा, श्री रमेश शर्मा, श्री राज कौशिक, श्री सर्वेश अस्थाना, श्रीमती कीर्ति काले, श्रीमती अंजु जैन, आदि विविध कवियों और कवियत्रियों ने ओज, श्रृंगार व व्यंग्य के विविध भावों को मुक्तक, गीत, गजल, आदि के माध्यम से अभिव्यक्त कर कवि सम्मेलन की शोभा बढ़ायी.
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Monday, January 23, 2017


दीप से दीप मिले
        दीप मालायें सजें।
लहर से लहर मिले
            धारायें बहें।
मन से मन मिले
          प्रीत पले ।

             डॉ0 मंजूश्री गर्ग

Sunday, January 22, 2017

कोको पाउडर(चॉकलेट पाउडर)


डॉ0 मंजूश्री गर्ग

कोको पाउडर हमें कोको बीन्स् से मिलता है. कोको बीन्स् का पेड़ सबसे पहले अमेरिका में पाया गया. आजकल अफ्रीका में सबसे ज्यादा कोको बीन्स् की खेती होती है. कोको बीन्स् के फल कटहल(jackfruit) के फल की तरह सीधे मुख्य तने या बड़ी शाखाओं में लगते हैं. फल भी आकार में काफी बड़े होते हैं. फल के अन्दर बीस से तीस बड़े आकार के कत्थई या जामुनी रंग के बीज होते हैं यही कोको बीन्स् कहलाते हैं. कोको बीन्स् के फल का बाहरी छिलका उतारकर गूदे सहित कोको बीन्स् को खमीर उठाने के लिये रख दिया जाता है. बाद में कोको बीन्स् को गूदे से अलग कर दिया जाता है. कोको बीन्स् को सुखाने के बाद पीस लिया जाता है. यही कोको पाउडर(चॉकलेट पाउडर) कहलाता है.
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Saturday, January 21, 2017





कॉफी बीन्स्

डॉ0 मंजूश्री गर्ग


कॉफी के पेड़ पर चैरी की तरह के फल लगते हैं, उसका बीज कॉफी बीन्स् कहलाता है. अधिकतर कॉफी चैरी में दो बीज होते हैं, किन्तु कुछ कॉफी चैरी में एक बीज भी होता है. कॉफी का पेड़ लगभग दस से बीस फुट तक ऊँचा होता है. कॉफी के पेड़ पर तीन-चार साल में फल आने लगते हैं.

कॉफी दो प्रकार से तैय्यार की जाती है-

1.     कॉफी चैरी को पानी में भिगोकर उनका गूदा बीन्स् से अलग किया जाता है, फिर उन बीन्स् को धूप में सुखाकर, भूनकर, पीसकर कॉफी पाउडर तैय्यार किया जाता है.

2.     कॉफी चैरी को ऐसे ही धूप में सुखाकर फिर बीन्स् को गूदे से अलग करके, भूनकर, पीसकर कॉफी पाउडर तैय्यार किया जाता है.
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Wednesday, January 18, 2017

वैनिला(VANILLA)



डॉ0 मंजूश्री गर्ग

वैनिला की फसल सर्वप्रथम मैक्सिको के गुल्फकोस्ट घाटी में पाई गयी. आजकल मेडागास्कर में सबसे अधिक उत्पादन होता है. विश्व का लगभग अस्सी प्रतिशत वैनिला का उत्पादन मेडागास्कर में ही होता है.

वैनिला बेल जैसे उगता है और किसी पेड़ या खम्भे के सहारे चढ़ता है. वैनिला के फूल हल्के पीले रंग के होते हैं. एक फूल से एक ही फल बनता है. फूल में नर(Anther) और मादा(Stigma) दोनों अंग होते हैं जो एक हल्की सी झिल्ली से जुड़े रहते हैं. पहले एक विशेष मधुमक्खी के द्वारा Pollination की क्रिया होती थी जो मैक्सिको में ही पाई जाती हैं किन्तु अभी कृत्रिम तरीके से हाथ द्वारा Pollination करके फसल उगायी जाती है. वैनिला की फली गहरे भूरे रंग की होती है. जब यह फली पक जाती है, तो फटने से पहले ही इन्हें तोड़ लिया जाता है. इन फली(beans) के अन्दर गहरा लाल रंग का तरल पदार्थ होता है, यही(vanilla essence) होता है, जो कि बहुत मँहगा होता है. मसालों में केसर के बाद vanilla essence का नंबर आता है. किंतु आजकल synthetic vanilla essence भी बाजार में उपलब्ध है.

Friday, January 13, 2017

हारसिंगार




डॉ0 मंजूश्री गर्ग

हारसिंगार को शैफाली और पारिजात नाम से भी जाना जाता है. समुद्र-मंथन के समय चौदह रत्नों में से एक पारिजात वृक्ष था, जिसे देवताओं को दिया गया. देवताओं के राजा इन्द्र ने पारिजात वृक्ष को स्वर्ग के नंदनवन में लगा दिया. द्वापर युग में रानी सत्यभामा के कहने पर श्री कृष्ण हारसिंगार-वृक्ष को पृथ्वी पर लाये.

हारसिंगार का वृक्ष शंकुकार होता है और लम्बाई दस से बारह फुट तक होती है, फैलाव आम के वृक्ष के जैसे होता है. इसकी पत्तियाँ भी शंकुकार और खुरदुरी होती हैं. पत्तियों की लम्बाई तीन से चार इंच और चौड़ाई दो से तीन इंच तक होती है. अगस्त-सितम्बर के महीने में हारसिंगार में कलियाँ आनी शुरू हो जाती हैं. ये कलियाँ शाम के समय खिलनी शुरू होती हैं और आसपास का सारा वातावरण सुगंध से सरोबार हो जाता है. हारसिंगार का फूल सुगंध के साथ-साथ देखने में भी बहुत सुंदर लगता है-सफेद पंखुरियाँ और नारंगी डंडी. सुबह होते-होते फूल झरने लगते हैं. पेड़ के नीचे देखो तो फूलों का कालीन बिछा मिलता है. हारसिंगार के फूल चाहिये तो पेड़ के नीचे आँचल फैलाकर खड़े हो जाओ. आपका आँचल महकते रंग-बिरंगे फूलों से भर जायेगा. हारसिंगार के फूलों की डंडी से प्राकृतिक नारंगी रंग बनता है. हारसिंगार के फल चपटे होते हैं, जिनके अन्दर बीज होता है.
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Thursday, January 12, 2017

मुस्कान के लिये

ये 'व्हाट्एप' की दुनिया
ये 'फेसबुक' की दुनिया
लंबी कतारें दोस्तें की
पर, मन का जो हाल जान ले
वो दोस्त दिखता कहीं नहीं ।
बिन कहे जो पढ़ ले हाल दिल का
दोस्त एक ही काफी है मुस्कान के लिए।

  डॉ0 मंजूश्री गर्ग

Wednesday, January 11, 2017

उठे थे दुआओं के लिये हाथ जिनके लिए ।
काँप उठे हैं देख खंजर हाथ में उनके ही ।।

      डॉ0 मंजूश्री गर्ग

Sunday, January 8, 2017


गजल
डॉ0 मंजूश्री गर्ग

पल-पल बदलते मौसम का हाल क्या कहिये।
रंग बदलती  दुनिया का हाल क्या कहिये।।

फटी  जीन्स  फैशन  है  आजकल का ।
अमीरी-गरीबी  का  हाल क्या कहिये ।।

कंक्रीटी-जंगलों   में  रहे  हैं  बदल।
शहरों का अब और हाल क्या कहिये ।।

बिन  बोले  ही बहुत बोले हैं नयन।
दिल का अब और हाल क्या कहिये ।।

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Wednesday, January 4, 2017

गिलहरी

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

छोटी सी, प्यारी सी, श्रम की
प्रतीक है गिलहरी  ।

तीन रेखायें पृष्ठ भाग पर
श्री राम के आशीर्वाद की
प्रतीक है गिलहरी  ।

कभी यहाँ, कभी वहाँ
फुदकती चंचलता की
प्रतीक है गिलहरी ।

दो पैरों पर बैठ,
दो से चुगती दाना
मनोहारी है गिलहरी ।
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Monday, January 2, 2017

सूरज दादा!
डॉ0 मंजूश्री गर्ग

धुंध की चादर ओढ़े
क्यूँ बैठे  हो
सूरज दादा!
कर फैला कर
दूर करो अँधेरा।

खेलें, कूदें
धूम मचायें
संग तुम्हारे गायें
जब आँगन में
धूप नहाये।
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