प्रकृति के कण-कण में लय है, ध्वनि है. पत्ते भी हिलते हैं तो सरगम सी बजती है, नदी का जल कल-कल की ध्वनि करता है, झरनों का जल झर-झर कर बहता है. हर पशु-पक्षी की अपनी बोली है. इन्हीं ध्वनियों के अनुकरण से कुछ शब्द निर्मित होते हैं, जो ध्वनि अनुकरण से निर्मित शब्द कहलाते हैं.
भाषा की सबसे छोटी इकाई 'अक्षर' है, लेकिन बिना किसी स्वर या व्यंजन के अक्षर किसी भाव को अभिव्यक्त करने में असमर्थ है.अक्षर या अक्षरों में स्वर या व्यंजन मिलकर 'शब्द' का निर्माण करते हैं. प्रत्येक शब्द का एक या एक से अधिक सार्थक अर्थ होता है. सार्थक शब्दों का समूह जब वाक्य में प्रयुक्त होता है तो किसी सार्थक भाव की अभिव्यक्ति करता है. प्रत्येक भाषा का अपना व्याकरण होता है, उसी के अनुसार उस भाषा का वाक्य विन्यास होता है. जैसे----हिंदी भाषा में क्रिया वाक्य के अंत में आती है जबकि अंग्रेजी भाषा में क्रिया वाक्य के बीच में आती है.
जब कोई शब्द वाक्य में प्रयुक्त होने के योग्य हो जाता है, तो 'पद' कहलाता है. पद एक शब्द का भी हो सकता है और एक से अधिक शब्दों का भी.
Monday, July 6, 2015
भाषा
भाषा हमारे विचारों की संवाहिका है. जहाँ भाषा का मौखिक रूप हमारे विचारों का श्रोता पर तात्कालिक प्रभाव डालता है, वहीं भाषा का लिखित रूप हमारे विचारों को देशकाल की सीमाओं से अलग कर सार्वदेशिक, सार्वभौमिक, सार्वकालिक बनाते हैं.