Monday, September 30, 2019



शारदीय नवरात्र की हार्दिक शुभकामनायें-

चन्द्रघण्टा माँ
भयमुक्त करतीं
तीसरे दिन।

                       डॉ. मंजूश्री गर्ग


शारदीय नवरात्र की हार्दिक शुभकामनायें--


दूसरे दिन
ब्रह्मचारिणी रूप
माँ के दर्शन।

                                   डॉ. मंजूश्री गर्ग

Sunday, September 29, 2019



शारदीय नवरात्र की हार्दिक शुभकामनायें--

प्रथम दिन
शैलपुत्री रूप में
देवी दर्शन।

                                      डॉ. मंजूश्री गर्ग

Saturday, September 28, 2019



तेरे ध्यान में 
या गुम अपने में
मालूम नहीं।

                                    डॉ. मंजूश्री गर्ग

Friday, September 27, 2019



सीपी में पली
बूँद एक वर्षा की
मोती है बनी।

                                  डॉ. मंजूश्री गर्ग


Thursday, September 26, 2019



उड़ी पतंगें
छूने चली आकाश
लड़े हैं पेच।

                              डॉ. मंजूश्री गर्ग

Tuesday, September 24, 2019



जीवन चक्की
सुख-दुख दो पाट
पिसता जीव।

                                     डॉ. मंजूश्री गर्ग


अंक वही हैं
छत्तीस या तिरेसठ
शत्रु या मित्र।

                                       डॉ. मंजूश्री गर्ग

Sunday, September 22, 2019




                 यह छोटी-सी कुटिया मेरी।                 
दीप शिखा है अंधकार की
घनी घटा की उजियाली
ऊषा है यह कमल-भृंग की
है पतझड़ की हरियाली।
                   सुभद्रा कुमारी चौहान

Friday, September 20, 2019



भावों की नावें
बहती आर-पार
सहज रिश्ते।

                                    डॉ. मंजूश्री गर्ग

Thursday, September 19, 2019



दो तटों को सींचती, बहती अविरल नदी।
कितनी प्यासी थी, कोई सागर से पूछो।

                         डॉ. मंजूश्री गर्ग



Wednesday, September 18, 2019


कृष्ण दीवानी
विष का प्याला पी के
नाची है मीरा।
1.

विष का प्याला
अमृत बन गया
मीरा के लिये।
2.

                                          डॉ. मंजूश्री गर्ग


Tuesday, September 17, 2019



अरमानों को
पंख मिले हैं आज
तुमसे मिल।

                                        डॉ. मंजूश्री गर्ग

Monday, September 16, 2019



कब जिया है
जड़ से अलग हो
कोई भी पौधा।

                                   डॉ. मंजूश्री गर्ग

Sunday, September 15, 2019



बेटी सँवारे
दोनों कुल कूल से
बन के नदी।

                              डॉ. मंजूश्री गर्ग

Saturday, September 14, 2019


दर्पण जैसे
आईना बनो तुम
रूप निहारूँ।

                              डॉ. मंजूश्री गर्ग


Friday, September 13, 2019




14 सितंबर,2019, हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभकामनायें

सभी साहित्यकारों को शत्-शत् नमन, जिनके अथक प्रयासों से हिन्दी भाषा  समृद्ध हो पायी. साथ ही सभी राजनेताओं को शत्-शत् नमन जिनके प्रयासों से हिन्दी भाषा को भारत की मातृ भाषा बनने का गौरव प्राप्त हुआ.

Thursday, September 12, 2019



पतंग सम
उड़ूँ वहीं तक मैं
तुम दो ढ़ील।

                                डॉ.मंजूश्री गर्ग

Wednesday, September 11, 2019



याद उनकी मेहमान बन आई थी,
हठीली थी, जीवन-संगिनी बन गयी.

                           डॉ. मंजूश्री गर्ग




मुड़ जायेंगे
लचक है लता सी
चाहोगे जैसे।

                                 डॉ. मंजूश्री गर्ग

Monday, September 9, 2019



छोटा सा दिल
मासूम धड़कन
थामे जिंदगी।

                                डॉ. मंजूश्री गर्ग

Sunday, September 8, 2019




9 सितंबर, 2019 प्रसिद्ध साहित्यकार व हिन्दी प्रेमी श्री भारतेन्दु हरिश्चन्द्र जी के जन्म-दिवस पर शत्-शत्  नमन-

अंग्रेजी पढ़ि के जदपि, सब गुन होत प्रवीन
पै निज भाषा-ज्ञान बिन, रहत हीन के हीन।

विविध कला शिक्षा अमित, ज्ञान अनेक प्रकार
सब देसन से लै करहू, भाषा माहि प्रचार।

                           भारतेन्दु हरिश्चन्द्र
    


Saturday, September 7, 2019



हिरणी जैसी
चंचल चितवन
मोहती मन।

                                           डॉ. मंजूश्री गर्ग




प्रीत की डोर से बँधे हैं पाखी
बिन डोर खिंच आते हैं आँगन की ओर।

                     डॉ. मंजूश्री गर्ग







Friday, September 6, 2019



कंक्रीट-वन
पिंजरों में कैद है
मानव आज।

                                   डॉ. मंजूश्री गर्ग


Wednesday, September 4, 2019



छोटी सी बात
लंबे-लंबे संवाद
सुलझे नहीं।

                            डॉ. मंजूश्री गर्ग


Tuesday, September 3, 2019



शिल्पी हैं वह
पत्थर बने मूर्ति
हाथ आते ही।

1.

ख्वाबों के पक्षी
उड़े दूर तलक
जागे तो टूटे।

2.

                                        डॉ. मंजूश्री गर्ग


Sunday, September 1, 2019





2 सितंबर, 2019 श्री गणेश जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामायें

मोदक प्रिय
मोद से भरें सदा
घर-आँगन।

                   डॉ. मंजूश्री गर्ग