Sunday, February 28, 2021


धूमिल न होने दें सुनहरे पलों की यादें।

यादों के चिरागों से ही रोशन है जिंदगी।।

 

                    डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Saturday, February 27, 2021



यूँ ही नहीं कोई किसी के गले का हार बन जाता है।

माला बनने से पहले फूलों को भी चुभन से गुजरना होता है। 


                                                                         डॉ. मंजूश्री गर्ग

Thursday, February 25, 2021


गंध बनकर हवा में बिखर जायें हम

ओस बनकर पंखुरियों से झर जायें हम

तू न देखे हमें बाग में भी तो क्या

तेरा आँगन तो खुशबू से भर जायें हम।


                                  गुलाब खण्डेलवाल

Wednesday, February 24, 2021

 

प्यार किया है तुमसे, तकरार नहीं करेंगे।

इकरार किया है तुमसे, इंकार नहीं करेंगे।।


                                              डॉ. मंजूश्री गर्ग

Saturday, February 20, 2021

 रात भर जागते रहे जलते दिये से।

फिर भी ना दूर हुये मन के अँधेरे।।


                                       डॉ. मंजूश्री गर्ग

Friday, February 19, 2021



लक्ष्मण झूला

लक्ष्मण ने बनाया

ऋषिकेश में।


                            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Wednesday, February 17, 2021


जहाँ देखो भवनों के पर्वत खड़े हैं।

ये मौसम ना आने की जिद पे अड़े हैं।


                             शशि पाधा 

Monday, February 15, 2021

16 फरवरी, 2021 बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनायें  


 

माँ सरस्वती की वंदना


वर दे! वर दे! वर दे!

वीणा वादिनी वर दे!

वाणी में अमृत रस भर दे!

वर दे! वर दे! वर दे!

वीणा वादिनी वर दे!

 

जय सरस्वती माँ वर दे!

शब्दों में अमृत रस भर दे!

वर दे! वर दे! वर दे!

वीणा वादिनी वर दे!

 

जय वाग्देवी वर दे!

भाव-भाव में, अंग-अंग में अमृत रस भर दे!

वर दे! वर दे! वर दे!

वीणा वादिनी वर दे!


                        डॉ. मंजूश्री गर्ग

Wednesday, February 10, 2021


जो सम्बन्ध सुरभि  का होता फूल से।

मेरा और तुम्हारा वो सम्बन्ध है।।


                                 रामावतार त्यागी

Tuesday, February 9, 2021

यादों की छाँव में बैठ, जिंदगी कटती नहींं। 

कुछ आज में जी लें, कुछ कल के सपने बुन लें।।


                                             डॉ. मंजूश्री गर्ग

Monday, February 8, 2021



झूठे ख्बाब दिखा रहे हो, हमको तुम बहला रहे हो।

गहरे पानी में क्या? कागज की किश्ती चला रहे हो।।


                           डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Wednesday, February 3, 2021


बाती ही जली

प्रीत निबाहने को

पिघला मोम।


                              डॉ. मंजूश्री गर्ग