Thursday, February 25, 2021


गंध बनकर हवा में बिखर जायें हम

ओस बनकर पंखुरियों से झर जायें हम

तू न देखे हमें बाग में भी तो क्या

तेरा आँगन तो खुशबू से भर जायें हम।


                                  गुलाब खण्डेलवाल

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