Saturday, December 31, 2016




नव-वर्ष 2017 की हार्दिक शुभकामनायें

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

आकाश तले
नव चन्द्र दर्शन
नव-वर्ष में।

दौज का चाँद
खुशियाँ अनगिन
नव-वर्ष में।

विश्व-भर में
नव-वर्ष की धूम
खुश है जहाँ।

नव-वर्ष में
रोशनी में नहाया
जग सारा ही।

है नया साल
दो हजार सत्रह
एक नंबरी।


Thursday, December 29, 2016

हाइकु

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

गुड़ बन के
गन्ने की मिठास
हवा में बही।

गुड़, तिल, घी
गज्जक के समाये
तीनों के गुण।

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Monday, December 26, 2016

हाइकु

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

कला की पूजा
कलाकार का धर्म
और ना दूजा।

पल खुशी के
अंग-अंग मुस्काये
मन थिरके।

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Monday, December 19, 2016

ओस भीगी सुबह 
कोहरे में लिपटी शाम
बस एक टुकड़ा धूप
आस जिंदगी की ।
       
           डॉ0 मंजूश्री गर्ग

Wednesday, December 14, 2016

बड़े साब हैं आप तो
डॉ0 मंजूश्री गर्ग

बड़े साब हैं आप तो
दिल्ली में रहकर
दिल्ली से
अनजान हैं आप तो।

वातानुकूलित
सड़कें आपकी
सर्दी-गर्मी से
अनजान हैं आप तो।

लाल बत्ती में सफर
ट्रैफिक में रहकर
ट्रैफिक जाम से
अनजान हैं आप तो।

चौबीस घंटे बिजली
पावर में रहकर
पावर कट से
अनजान हैं आप तो।
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Friday, December 9, 2016

देवदार

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

देवदार पर्वतीय श्रृंखलाओं में पाया जाने वाला कॉनिफर(शंकु) जाति का बहुत ही सुंदर व मजबूत वृक्ष है. देवदार शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है देव(देवता) और दारू(लकड़ी). देवदार का स्थानीय नाम सीडरस  दियोदारा है. स्थानीय भाषा में इसे दियार, केलो भी कहा जाता है. भारत में गढ़वाल, कुमाऊं, असम, कश्मीर, हिमाचल प्रदेश में देवदार के घने जंगल हैं.

देवदार की पत्तियाँ पतली, नुकीली व चमकदार होती हैं, वो सदा हरी रहती हैं. इनकी आयु दो-तीन साल होती है. शंकु जाति का होने के कारण शीर्ष पर शंकु के आकार का ही होता है किंतु कभी-कभी बर्फ गिरने से या तेज हवा के चलने से चपटा हो जाता है. पूर्ण वृक्ष की लम्बाई प्रायः 40(चालीस)मी0 से 60(साठ)मी0 तक होती है और वृक्ष की मोटाई 4मी0 से 6मी0 तक होती है. वृक्ष की छाल पतली हरी होती है जो धीरे-धीरे गहरी भूरी हो जाती है. वृक्ष के तने की (Horizontal) काट देखने पर बहुत ही सुंदर लगती है, इस पर पेंटिंग्स भी बनाई जाती हैं. वातावरण अनुकूल होने पर बड़े वृक्षों के नीचे नये पौधे निकल आते हैं.

मान्यता है कि जब प्रलय के समय सारी सृष्टि जलमग्न हो गयी थी तब भी दो-चार देवदार के वृक्ष बचे हुये थे. जैसा कि जयशंकर प्रसाद ने कामायनी में भी लिखा है-

उसी तपस्वी से लंबे थे
देवदारू दो चार खड़े।
हुए हिम-धवल, जैसे पत्थर
बनकर ठिठुरे रहे अड़े।


प्रिय पाठकों,

यदि आप 14 नवंबर, 2016 को सुपर मून नहीं देख पाये हैं तो 13 दिसंबर, 2016 को पूर्णिमा के दिन चंद्रमा अवश्य देखियेगा. इस दिन भी चंद्रमा पृथ्वी के बहुत पास है और चंद्रमा बहुत बड़ा और चमकीला दिखाई देगा.हाँ! सुपर मून से थोड़ा कम.
                                   
                               डॉ0 मंजूश्री गर्ग

Thursday, December 1, 2016







सुपर मून

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

                                   
सुपर मून
आया पृथ्वी पास
मुस्काई धरा

चन्द्रमा अपनी धुरी पर घूमता हुआ पृथ्वी के चारों ओर अण्डाकार कक्षा में चक्कर लगाता है. कभी पृथ्वी के बहुत पास होता है और कभी पृथ्वी से बहुत दूर दिखाई देता है. जब चन्द्रमा पृथ्वी के बहुत पास होता है अर्थात् चन्द्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी बहुत कम होती है तो चन्द्रमा बहुत बड़ा दिखाई देता है और चाँदनी भी बहुत अधिक होती है. ऐसा ही 14 नवंबर, 2016 को कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ, जब पृथ्वी और चन्द्रमा के बीच की दूरी बहुत कम होने के कारण चन्द्रमा लगभग 14% बड़ा दिखाई दिया और इसकी रोशनी 30% अधिक थी. इसे सुपर मून का नाम दिया गया. इससे पहले लगभग 68 वर्ष पहले सन् 1948 में सुपर मून दिखाई दिया था.

कहते हैं सालभर में शरद पूर्णिमा की चाँदनी सबसे अधिक होती है, इसी दिन श्रीकृष्ण भगवान ने वृन्दावन में राधाजी और अन्य गोपियों के साथ मिलकर चाँदनी रात में रास रचाया था. किंतु इस साल 2016 में कार्तिक पूर्णिमा की चाँदनी शरद पूर्णिमा की चाँदनी से भी अधिक थी. शायद इसीलिये इसे सुपर मून का नाम दिया गया.
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