Saturday, December 31, 2016
Thursday, December 29, 2016
Monday, December 26, 2016
Monday, December 19, 2016
Wednesday, December 14, 2016
बड़े सा’ब हैं आप तो
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
बड़े सा’ब हैं आप तो
दिल्ली में रहकर
दिल्ली से
अनजान हैं आप तो।
वातानुकूलित
सड़कें आपकी
सर्दी-गर्मी से
अनजान हैं आप तो।
लाल बत्ती में सफर
‘ट्रैफिक’ में रहकर
‘ट्रैफिक जाम’ से
अनजान हैं आप तो।
चौबीस घंटे बिजली
‘पावर’ में रहकर
‘पावर कट’ से
अनजान हैं आप तो।
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Friday, December 9, 2016
देवदार
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
देवदार पर्वतीय श्रृंखलाओं
में पाया जाने वाला कॉनिफर(शंकु) जाति का बहुत ही सुंदर व मजबूत वृक्ष है. देवदार
शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है देव(देवता) और दारू(लकड़ी). देवदार का स्थानीय नाम
सीडरस दियोदारा है. स्थानीय भाषा में इसे
दियार, केलो भी कहा जाता है. भारत में गढ़वाल, कुमाऊं, असम, कश्मीर, हिमाचल प्रदेश
में देवदार के घने जंगल हैं.
देवदार की पत्तियाँ पतली,
नुकीली व चमकदार होती हैं, वो सदा हरी रहती हैं. इनकी आयु दो-तीन साल होती है.
शंकु जाति का होने के कारण शीर्ष पर शंकु के आकार का ही होता है किंतु कभी-कभी
बर्फ गिरने से या तेज हवा के चलने से चपटा हो जाता है. पूर्ण वृक्ष की लम्बाई
प्रायः 40(चालीस)मी0 से 60(साठ)मी0 तक होती है और वृक्ष की मोटाई 4मी0 से 6मी0 तक
होती है. वृक्ष की छाल पतली हरी होती है जो धीरे-धीरे गहरी भूरी हो जाती है. वृक्ष
के तने की (Horizontal) काट देखने पर बहुत ही सुंदर लगती है, इस पर पेंटिंग्स भी बनाई जाती हैं.
वातावरण अनुकूल होने पर बड़े वृक्षों के नीचे नये पौधे निकल आते हैं.
मान्यता है कि जब प्रलय के
समय सारी सृष्टि जलमग्न हो गयी थी तब भी दो-चार देवदार के वृक्ष बचे हुये थे. जैसा
कि जयशंकर प्रसाद ने कामायनी में भी लिखा है-
उसी तपस्वी से लंबे थे
देवदारू दो चार खड़े।
हुए हिम-धवल, जैसे पत्थर
बनकर ठिठुरे रहे अड़े।
Thursday, December 1, 2016
सुपर मून
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
सुपर मून
आया पृथ्वी पास
मुस्काई धरा ।
चन्द्रमा अपनी धुरी पर
घूमता हुआ पृथ्वी के चारों ओर अण्डाकार कक्षा में चक्कर लगाता है. कभी पृथ्वी के
बहुत पास होता है और कभी पृथ्वी से बहुत दूर दिखाई देता है. जब चन्द्रमा पृथ्वी के
बहुत पास होता है अर्थात् चन्द्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी बहुत कम होती है तो
चन्द्रमा बहुत बड़ा दिखाई देता है और चाँदनी भी बहुत अधिक होती है. ऐसा ही 14
नवंबर, 2016 को कार्तिक पूर्णिमा के दिन हुआ, जब पृथ्वी और चन्द्रमा के बीच की
दूरी बहुत कम होने के कारण चन्द्रमा लगभग 14% बड़ा दिखाई दिया और इसकी रोशनी 30% अधिक थी. इसे सुपर मून का
नाम दिया गया. इससे पहले लगभग 68 वर्ष पहले सन् 1948 में सुपर मून दिखाई दिया था.
कहते हैं सालभर में शरद
पूर्णिमा की चाँदनी सबसे अधिक होती है, इसी दिन श्रीकृष्ण भगवान ने वृन्दावन में राधाजी और अन्य
गोपियों के साथ मिलकर चाँदनी रात में रास रचाया था. किंतु इस साल 2016 में कार्तिक
पूर्णिमा की चाँदनी शरद पूर्णिमा की चाँदनी से भी अधिक थी. शायद इसीलिये इसे सुपर
मून का नाम दिया गया.
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