Tuesday, April 28, 2020



मन तो पावन धाम है।
जहाँ बसे तीर्थ अनेक।
मन में झाँका जब-जब
नमन प्रभु को कर लिया।।

                                             डॉ. मंजूश्री गर्ग



पूर्व  में सूर्य
पश्चिम में चंद्रमा
निराला दृश्य।

                                    डॉ. मंजूश्री गर्ग

Sunday, April 26, 2020



पर हैं पर उड़ने की अभिलाषा मन में
पिंजरे से तकते हैं परिंदे आकाश को।।

                                डॉ. मंजूश्री गर्ग

Saturday, April 25, 2020



रोज कहो या गुलाब
लोटस कहो या कमल
रूप, रंग, गंध नहीं बदलते
नाम बदल जाने से।।


                                         डॉ. मंजूश्री गर्ग

Friday, April 24, 2020



अनूप झील

नदियों के मुहाने पर समुद्र की धारायें या पवनें बालू मिट्टी के टीले बनाकर जल के क्षेत्र को समुद्र से अलग कर देती हैं इनहें अनूप कहते हैं। भारत के पूर्वी तट पर उड़ीसा की चिल्का झील और नेल्लोर की पुलीकट झीलें, गोदावरी और कृष्णा नदी के डेल्टाओं में कोलेरू झील(आन्ध्र प्रदेश) इसी प्रकार बनी हैं। भारत के पश्चिमी तट पर केरल राज्य में भी असंख्य अनूप या कयाल पाये जाते हैं।

Wednesday, April 22, 2020



हस्ताक्षर तेरे स्वयं भाग्य-नियति के लेख।
औरों को मत दोष दे, अपने अवगुण देख।।

                                                       गोपालदास नीरज


Tuesday, April 21, 2020




सुबह सुहानी छाँव में,
पक्षी के मधु कुंजन में,
गुमसुम सा बैठा है कोई
गुम साथी की याद में।।

                       डॉ. मंजूश्री गर्ग




Sunday, April 19, 2020



खतरे से बाहर कहाँ!
खतरा ही खतरा बाहर।
                 डॉ. मंजूश्री गर्ग


Saturday, April 18, 2020



खिले रात में
बेला, जूही, जैस्मीन
फूल एक ही।

                            डॉ. मंजूश्री गर्ग


Friday, April 17, 2020


छेड़ा जो जल
अनगिन लहरें
नदी में बनीं।

                           डॉ. मंजूश्री गर्ग


Thursday, April 16, 2020



अंक एक है।
शून्य जितने मिलें
बढ़ता मान।

                            डॉ. मंजूश्री गर्ग

Tuesday, April 14, 2020



समय की छलनी में छनेंगे,
बचेंगे कुछ गीत, गजल।
चमकेंगे साहित्याकाश में,
ध्रुव तारे से अटल।

          डॉ. मंजूश्री गर्ग

Monday, April 13, 2020





कागजी फूल से, बनावटी रिश्ते।
खुशबू नहीं जिनमें, है नकली रंग।।

                      डॉ. मंजूश्री गर्ग

Sunday, April 12, 2020



तेरे रूप से
साकार है संसार
गंध जीव में।

                             डॉ. मंजूश्री गर्ग

Thursday, April 9, 2020



कर्फ्यू सा लगा।
सुनसान सड़कें
अप्रैल माह।

                         डॉ. मंजूश्री गर्ग

Tuesday, April 7, 2020



कैसी!
लड़ाई है।
अपनों ने,
अपनों से,
अपनों के लिये
दूरी बनाई है।
                      डॉ. मंजूश्री गर्ग











Sunday, April 5, 2020



सब मिल साथ चलेंगे, बीहड़ वन में राह बनेगी।
आशाओं के दीप जलेंगे, अँधकार सब होंगे दूर।।

                      डॉ. मंजूश्री गर्ग


Friday, April 3, 2020



खुशियाँ आयें जीवन में क्या कम है?
मनाने का मौसम तो अभी नहीं है।
                      डॉ. मंजूश्री गर्ग




Wednesday, April 1, 2020



सतयुग सा
प्रकृति की गोद में
सादा जीवन।

                                डॉ. मंजूश्री गर्ग