महान उपलब्धियाँ कभी भी आसानी से नहीं मिलती,
और आसानी से मिली उपलब्धियाँ महान नहीं होतीं।
लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक
ताँबा बिना ना सोना गढ़ता।
फिर भी ताँबा ताँबा ही रहता।।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
रात गुम है,
गम के अँधेरे में।
उसे मालूम ही नहीं,
कितने सितारे जड़े हैं,
उसके आँचल में।
सोच में हूँ कि सोच के प्रकरण में
किस तरह कुछ कहा जाये
कि सबका ध्यान उनकी ओर हो
जिनका ध्यान सब की ओर है।
कुँवर नारायण
कृष्ण द्वारका बसें,
मन राधा के संग।
राम अवध में बसें,
मन सीता के संग।
तन कहीं, मन कहीं और है
कैसे जीवन समरस हो।।
पुरस्कार हों
सम्मानित हमसे
तभी है यश।
छ़ेड़ने का तो मजा तब है कहो और सुनो
बात में तुम तो खफा हो गये, लो और सुनो।
इंशा अल्ला खाँ
मकड़ी सम
अपने ही जाल में
फँसते हम।
इस युग में संबंध भी लगते ज्यूँ अनुबंध।
जितनी हो उपयोगिता, बस उतने संबंध।।
लक्ष्मी शंकर वाजपेयी
तुम महसूस ना करो, तो ये अलग बात है,
हवा बनकर तेरे करीब से ही गुजरते हैं हम।
मन द्वारे पे
खिले खुशी के रंग
सजी रंगोली।
असंख्य दीप जगमगायें दीपावली पे,
मानो धरा पे उतर आये हैं सितारे।
सजी अयोध्या
आज राम घर में
जलाओ दिये।