मुस्काते फूल
उड़ती तितलियाँ
मनोरम दृश्य ।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
मन उमंग
तन तरंग
जीवन सतरंग
तुम्हरे संग ।
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
हाइकु
डॉ0 मंजूश्री गर्ग
छूटती नहीं,
मन-छोर से बँधी
यादें तुम्हारी ।
सुबह-शाम
धुआँ-धुआँ है हवा
साँस लें कहाँ ।
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