Wednesday, January 31, 2024


अपने हक के लड़ने के लिये जुझारू होना होता है।

और दूसरों के हक के लिये लड़ने के लिये लड़ाकू ।।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग

Tuesday, January 30, 2024


तीखे नयन

करते हैं घायल

भौं-धनु चढ़।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Monday, January 29, 2024


दो पल मिले

जियें हैं उम्र भर

खुशबू लिये।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Sunday, January 28, 2024


मनमीत रे!

आँखों में पुतली से 

बसो ह्रदय।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Saturday, January 27, 2024


अँधेरी रात

कठिन है डगर

सम्बल तेरा।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Friday, January 26, 2024


दो पल साथ

मेंहदी की तरह

रंगा जीवन।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Thursday, January 25, 2024


75वें गणतन्त्र दिवस की हार्दिक शुभकामनायें

26 जनवरी, 2024

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है स्वर्ग मेरा

खिलती मुस्कानों में

तेरी बाहों में।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Wednesday, January 24, 2024


 बंजारा मन

डगर-डगर पे

डाले है डेरे।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग

Tuesday, January 23, 2024


जगमगाते रहें दिये यादों के, जीवन में उजाला कम ना होगा।

बनी रहे खुशबू सुनहरे पलों की, मन की महक ना कम होगी।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Monday, January 22, 2024

 


पौष मास शुक्ल पक्ष द्वादशी तिथी, 22 जनवरी, 2024

बाल रूप श्री राम की मूरत पुनः प्रतिष्ठित अयोध्या धाम।

बाल रूप श्री राम का, मृदु मुस्कान मुख पे,

नैनन ज्योति अपम्पार, धनुष-वाण सुशोभित कर।

धन्य हुये जन-जन आज, करके दर्शन प्रभु श्री राम का।

घर-घर जली हैं ज्योति, मनाये दीवाली सारा विश्व।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग

Sunday, January 21, 2024


 सजी अयोध्या

आज राम घर में

जलाओ दिये।

1.

अधर द्वार

दीप राम नाम का

रोशन मन।

2.

            डॉ. मंजूश्री गर्ग

Saturday, January 20, 2024


श्री रामचंद्र

सीता संग धनुष

सदा विराजें।

1.

ह्रदय धरें

राम छवि प्यारी

श्री हनुमान।

2.


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Friday, January 19, 2024


पुष्प-वाटिका

सीता-राम मिलन

हरषे मन।

1.

शुभ विवाह

वर हैं श्री रामजी

वधू जानकी।

2.

            डॉ. मंजूश्री गर्ग


    

Thursday, January 18, 2024


सरयू तीर

अयोध्या नगरी में

राम का जन्म।

1.


राम लला ही

राम जन्म-भूमि पे

सदा विराजें।

2.


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Wednesday, January 17, 2024


मंदिर जग

मूरत हम सब

ज्योत प्यार की।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Tuesday, January 16, 2024


मंजिल पानी है गर

अवरोधों से डरना कैसा!

कौन है? जिसने ताप सहा नहीं

सूरज जैसा चमका जो भी।।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Monday, January 15, 2024


तेरी जुल्फों के साये में शामें सुहानी हैं,

हैं रोशन रातें तेरी ही मुस्कानों से।

बज उठते हैं जब तेरी यादों के घुँघरू

जिंदगी कई सरगमें सुनाती है हमें।।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Sunday, January 14, 2024


 आओ! मनायें खुशियाँ अपरम्पार।

उड़ायें सब मिल पतंग आकाश।।


कहीं पोंगल, कहीं बिहू, कहीं लोहड़ी,

कहीं  मनायें  मकर   संक्रांति. ।

करें  नई फसल का स्वागत,

स्वागत सूर्य देव का, हुये उत्तरायण।।


धीरे, धीरे, धीरे होगी सर्दी कम,

आओ! मनायें खुशियाँ अपरम्पार।।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग

Saturday, January 13, 2024


गंगा-सागर

महामिलन स्थल

है महातीर्थ।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Friday, January 12, 2024



मृदु मुस्कान मुख पे,

धनुष-बाण हाथ में,

बाल-छवि राम की,

सोहे दशरथ के आँगन।


               डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Thursday, January 11, 2024


 गंगा-सागर

आगे-आगे भगीरथ

पीछे गंगा की धारा.

गंगोत्री से निकल

ऋषिकेश, हरिद्वार

गढगंगा, अनूपशहर

प्रयाग,वाराणसी

से बहती हुई

पॅहुची गंगा-सागर.

तारे जहॉ सगर पुत्र

कपिलमुनि के आश्रम में.

बना परम-तीर्थ

वहाँ गंगा-सागर।


        डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Wednesday, January 10, 2024


    सूरज दादा!

 

धुंध की चादर ओढ़े

क्यूँ बैठे  हो

सूरज दादा!

कर फैला कर

दूर करो अँधेरा।

 

खेलें, कूदें

धूम मचायें

संग तुम्हारे गायें

जब आँगन में

धूप नहाये।

        डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Tuesday, January 9, 2024


भटका मन

फिर शरण तुम्हारी

आये हैं हम।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Monday, January 8, 2024


कुछ दूर साथ चलो, उस मोड़ तक ही।

जब वो मोड़ आएगा तो मैं बताऊँगा नहीं।।


                                      आयुष्मान 

Sunday, January 7, 2024


सूरज जैसे

दिशायें जगमग

तेरे आने से।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Saturday, January 6, 2024


पतझड़ के बाद, बसन्त का मौसम,

             लगता सुहाना है।

ग्रीष्म के बाद, बरखा का मौसम,

           लगता सुहाना है।

शरद् के बाद, शिशिर का मौसम,

            बहुत रूलाता है।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग

  

Friday, January 5, 2024


कभी रूलाती

कभी हँसाती भी हैं

संवेदनायें।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Thursday, January 4, 2024

 

श्री सोम ठाकुर


डॉ. मंजूश्री गर्ग

जन्म-तिथि- 5 मार्च, सन् 1934 ई., आगरा(उ. प्र.)

श्री सोम ठाकुर मुक्तक, लोक गीत व ब्रजभाषा में छंदों के प्रसिद्ध रचियता व गायक कवि है। श्री सोम ठाकुर के पिता का नाम श्री दीपचन्द्र ठाकुर व माता का नाम श्रीमती श्याम देवी था। इनका बचपन का नाम सोम प्रकाश ठाकुर था। कविता लिखने के पश्चात् प्रसिद्ध कवि व गीतकार प्रो. जगत प्रकाश चतुर्वेदी के कहने पर इनके नाम के बीच से प्रकाश हट गया और ये सोम ठाकुर के नाम से प्रसिद्ध हुये। दस वर्ष की आयु तक अंग्रेजी, गणित व हिन्दी की पढ़ाई घर पर ही की। उसके बाद हाईस्कूल की शिक्षा गवर्नमेंट हाईस्कूल, आगरा से की। जीव विज्ञान से इण्टर किया और बी. एस. सी. की पढ़ाई शुरू की, लेकिन हिन्दी साहित्य व अंग्रेजी साहित्य में रूचि बढ़ने के कारण बी. एस. सी की पढ़ाई छोड़कर हिन्दी साहित्य व अंग्रेजी साहित्य में बी. ए. किया और हिन्दी में एम. ए. किया।

 

श्री सोम ठाकुर ने सन् 1959 ई. में आगरा कॉलेज से अध्यापन कार्य शुरू किया। सन्1963 ई. तक आगरा कॉलेज में पढ़ाया, फिर 1969 तक सेन्ट जॉन्स कॉलेज, आगरा में पढ़ाया। 1984 में मैनपुरी के नेशनल कॉलेज, भोगाँव में विभागाध्यक्ष के रूप में कार्यरत रहे। केंद्र सरकार की तरफ से हिन्दी भाषा के प्रसार के लिये इन्हें मॉरिशस भेजा गया, वहाँ से ये अमेरिका चले गये और 2004 तक वहाँ रहे। वापस आने पर उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष बने व इन्हें राज्य मंत्री का पद भी दिया गया। श्री सोम ठाकुर का व्यक्तित्व बहुत ही सहज, सरल व संवेदनशील था। व्यवसायिक कार्यों के साथ-साथ कविता लेखन व कविता पाठ का कार्य भी चलता रहा। 21 जून 1955 को आकाशवाणी, दिल्ली से भी कविता पाठ किया था।

 

आगरा की एक साहित्यित संस्था रत्नदीपने हिन्दी मासिक पत्र नवीनप्रकाशित किया, इसमें श्री सोम ठाकुर सह संपादक थे।

रचनायें-

प्रकाशित

अभियान-खंड-काव्य(1993)

एक ऋचा पाटल को-नवगीत-संग्रह(1997)

अप्रकाशित-

1.      चंदन और अबीर- राष्ट्र बोध गीतों का संग्रह

2.      लोकप्रिया- लोकप्रिय पारंपरिक गीतों का संग्रह

3.      ब्रज-छन्दिमा- ब्रज भाषा की कृतियों का संकलन

 

पुरस्कार-

1.      भारतीय आत्मा पुरस्कार, कानपुर

2.      डॉ. शिवमंगल सिंह सुमन गीत पुरस्कार

3.      काका हाथरसी ट्रस्ट द्वारा-ब्रज भाषा पुरस्कार, हाथरस

4.      राष्ट्रभाषा परिषद् मुंबई द्वारा महीयसी पुरस्कार

5.      2006 में यशभारती पुरस्कार

6.      2009 में दुष्यंत कुमार अलंकरण से सम्मानित किया गया

श्री सोम ठाकुर की प्रसिद्ध रचना-

मेरे भारत की माटी है चंदन और अबीर

 

सागर चरण पखारे, गंगा शीश चढ़ावे नीर,

मेरे भारत की माटी है चन्दन और अबीर।

सौ-सौ नमन करूँ मैं भैय्या, सौ-सौ नमन करूँ।

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 फूटे फरे मटर की भुटिया, भुने झरे झर बेरी,

मिले कलेऊ में बजरा रोटी, मठा, मठेरी।

बेटा माँगे गुड़ की डलिया, बिटिया चना चबेना,

भाभी माँगे खट्टी अमिया, भैय्या रस की खीर

सौ-सौ नमन करूँ मैं भैय्या, सौ-सौ नमन करूँ।

 

 

 

 

 

 

 


Wednesday, January 3, 2024


पौष महीना,

कोहरे में लिपटे,

दिन औ' रात।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग 

Tuesday, January 2, 2024

 

चंद्र-कलायें

एक रात में देखी

घूँघट उठा।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग

Monday, January 1, 2024


खुशी के पल

धूप खिली आँगन

छँटा कोहरा।


            डॉ. मंजूश्री गर्ग