Monday, March 28, 2016

हाइकु

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

तिनके गूँथ
अनुपम घोंसला
बया ने रचा।

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Tuesday, March 22, 2016

 होलीमय हाइकु
डॉ0 मंजूश्री गर्ग

रंग-गुलाल
छींटे हैं प्यार केे
होली-मिलन।

होली के दिन
धरती से अम्बर
रंगे बादल।
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विक्रमी संवत् 2073
एवम् 
होली की हार्दिक शुभकामनायें

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

ढ़ोल की थाप और
रंगों की पिचकारी ले
आया होली का त्यौहार।

फूलों की महक और
गुँझियों की मिठास ले
आया होली का त्यौहार।

नये साल की सौगात
भी साथ लेकर
आया होली का त्यौहार।

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( रंगभरी होली के साथ ही विक्रमी संवत् का आखिरी महीना फागुन समाप्त हो जाता है और नये साल का पहला महीना चैत्र प्रारम्भ होता है)


Sunday, March 20, 2016

गीत

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

कोयल की सुन तान
तुम्हारे गीत रचे।

अँधियारे पथ में
ज्योतिर्मय राह जगी
पाँव महावर से फिर
मैंने मीत रचे।

कोयल की सुन तान
तुम्हारे गीत रचे।

तुझसे बँधे तो
सब रिश्ते-नाते छूटे
तुझसे हारूँ, तो भी
मेरी जीत रचे।

कोयल की सुन तान
तुम्हारे गीत रचे।

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Monday, March 14, 2016

हाइकु
संयुक्त वर्ण-परिचय
डॉ0 मंजूश्री गर्ग

 और मिल
क्ष वर्ण को बनाते
संयुक्त वर्ण।

और मिल
त्र  वर्ण को बनाते
संयुक्त वर्ण।

 और  मिल
ज्ञ वर्ण को बनाते
संयुक्त वर्ण।

और मिल
श्र वर्ण को बनाते
संयुक्त वर्ण।

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हाइकु
वर्ण-परिचय
डॉ0 मंजूश्री गर्ग

वर्ग वर्ण
कंठ से निकलते
क,ख,ग,घ,ङ।

वर्ग वर्ण
तालू से निकलते
च,छ,ज,झ,ञ।

 वर्ग वर्ण
मूर्धन्य कहलाते
ट,ठ,ड़़,ढ,ण।

वर्ग वर्ण
दन्त स्पर्श करते
त,थ,द,ध,न।

 वर्ग वर्ण
होंठ से निकलते
प,फ,ब,भ,म।

य,र,ल,व,औ
श,ष,स,ह क्रमशः
अन्तःस्थ, ऊष्म।