नव वर्ष 2021 की हार्दिक शुभकामनायें
नया सवेरा
रोशन होंगी राहें
चहके मन।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
खुशी के पल
धूप खिली आँगन
छँटा कोहरा।
खुशी या गम
मनाने का मौसम
तो अभी नहीं।
बादलों से आ
मोती बनी सीपी में
एक बूँद थी।
उलझे नैन
टूटे रिश्ते सारे
बँधी है प्रीत।
नई उमंगें
नई चाह मन में
जिलाती हमें।
धुंध हटेगी
आज नहीं तो कल
होगा उजाला।
अँजुरी-जल
गंगा का अभिषेक
गंगा जल से।
अटल हैं जो
अडिग हैं इरादे।
ध्रुव हैं वही।
मधुर स्पर्श तुम्हारा जीने की नई चाह जगाता।
मानों हरित हुआ हो पौधा, पाकर बारिश की बूँदें।।
कैसे कह दूँ कि मुलाकात नहीं होती है
रोज मिलते हैं मगर बात नहीं होती है।
शकील बदायूंनी
सुबह हो चाहे जितनी सबेरे
शाम से पहले शाम न हो
रात से पहले रात।
बसंत चाहे खिले शिशिर में
पतझड़ से पहले पतझार न हो।
छोटा सा दिन
लम्बी होती रातें
दिसम्बर में।
आँचल हिले
तारे झिलमिलायें
चाँद चमके।