Monday, December 7, 2020


सुबह हो चाहे जितनी सबेरे

शाम से पहले शाम न हो

रात से पहले रात।

बसंत चाहे खिले शिशिर में

पतझड़ से पहले पतझार न हो।

 

        डॉ. मंजूश्री गर्ग 

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