Sunday, July 31, 2016

सोलर इंपल्स-2(Solar Impules-2)
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डॉ0 मंजूश्री गर्ग
26 जुलाई, 2016 ई0 का दिन विश्व इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखने का दिन है, जब सूर्य ऊर्जा से चलने वाले हवाई जहाज सोलर इम्पल्स-2 ने 16 महीने और 18 दिन में केवल 17 स्थानों पर विश्राम लेकर विश्व का गोल चक्कर पूरा किया.
प्रोजेक्ट चेयरमैन और पायलट बर्ट्रेंड पिकार्ड और प्रोजेक्ट सहयोगी एंड्रे वॉशबर्ड दोनों ने मिलकर अपनी टीम के सहयोग से सोलर इम्पल्स-2 द्वारा विश्व का गोल चक्कर(round- the- world) लगाने के स्वप्न को साकार किया. विमान ने 9 मार्च, 2015 ई0 को अबु धाबी से अपनी यात्रा आरम्भ कर पूर्वी देशों में ओमान, भारत, म्यांमार, चीन, जापान होता हुआ प्रशान्त महासागर को पार कर उत्तरी अमेरिका में होनालूलू, न्यूयार्क होता हुआ अटलांटिक महासागर को पार कर स्पेन, ईजिप्ट होता हुआ 26 जुलाई, 2016 ई0 को पुनः अबुधाबी पहुँचा.
सोलर इंपल्स-2 का वजन मात्र 2.3 टन( मात्र एक छोटी कार के बराबर) है, लेकिन इसके विंगस् काफी बड़े हैं लगभग 72 मी0(236फुट)- एक जम्बो एअर बस
A 380 के विंगस् के बराबर, जिनमें 17,000 सूर्य बैटरी लगी हैं. इसको चलाने में बहुत ही धैर्य की आवश्यकता थी क्योंकि इसकी गति मात्र 80 कि0मी0 प्रति घंटा थी और रात के समय गति को और भी कम करना होता था , जिससे ऊर्जा कम खर्च हो. खराब मौसम की वजह से कुछ देशों में अधिक समय के लिये भी रूकना पड़ा. पायलट बर्ट्रेंड पिकार्ड और एंड्रे बॉशबर्ड ने मिलकर अपनी 43,000 कि0मी0 की यात्रा में चार महाद्वीप, तीन समुद्र और दो महासागर को पार किया. सबसे लंबी उड़ान थी नयोगा(जापान) से हवाई(Hawaii) 8,924 कि0मी0 की थी. जिसे मि0 वॉशबर्ड ने निरंतर 118 घंटे में पूरी की.
पायलट बर्ट्रेंड पिकार्ड और एंड्रे वॉशबर्ड दोनों अपनी टीम के साथ हार्दिक बधाई के पात्र हैं।
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Friday, July 29, 2016

हाइकु

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

नन्हा कदम
उठे सही दिशा में
पायें मंजिल।

आम बागों में
सावन के महीने
पड़े हैं झूले।

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Wednesday, July 27, 2016

दीप
डॉ0 मंजूश्री गर्ग

एक दीप
मन्दिर में
श्रद्धा का।

एक दीप
तुलसी पे
विश्वास का।

एक दीप
आँगन में
प्रेम का।

एक दीप
ज्ञान का
दिल में
जलाये रखना।

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Monday, July 25, 2016

हाइकु

ड़ॉ0 मंजूश्री गर्ग

छिपा सूरज
बादलों से झाँकतीं
स्वर्ण किरणें।

निकला चाँद
बादलों से चमकी
रजत-आभा।

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Friday, July 22, 2016

भरत-कूप

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

चित्रकूट में एक कुआँ है जिसे आदि जल-स्रोत माना जाता है. जब भरत जी चित्रकूट में श्रीराम से मिलने गये तो राज्याभिषेक का सभी सामान भी अपने साथ ले गये थे, उसमें सब तीर्थों का जल भी था. भरतजी को आशा थी कि अनुरोध करने पर श्रीराम अयोध्या वापस आने के लिये तैय्यार हो जायेंगे और हम वहीं उनका राज्याभिषेक कर देंगे, किंतु श्रीराम ने माता-पिता की आज्ञा का मान रखने के लिये अवधि-भर(चौदह वर्ष) वन में ही रहने का निश्चय किया. तब श्री अत्रिमुनि के कहने पर भरतजी ने सब तीर्थों का जल जो अपने साथ ले गये थे, जल के आदि स्रोत उस कुँये में रख दिया. तभी से वह कुआँ भरत-कूप के नाम से जाना जाता है. वहाँ का जल अति पवित्र और पावन है.
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हाइकु

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

कामद गिरि,
राम-भरत मिले
चित्रकूट में।

भरत-कूप,
सब तीर्थों का जल
अति पावन।

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Friday, July 15, 2016

गुब्बारे

डॉ0 मंजूश्री  गर्ग

रंग-बिरंगे
प्यारे-प्यारे
मन भावन
गुब्बारे सारे.
लाल, गुलाबी
नीले, पीले
हरे, बैंगनी
कितने सारे.
बच्चों की है
मुस्कान औ
खिलौने प्यारे
गुब्बारे सारे.
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Saturday, July 9, 2016


बरसातें----------------------

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

जेठ   बरसती  धूप,
औ' सावन बरसते मेघ।
कवार बरसती चाँदनी,
औ' फागुन बरसते रंग।

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Thursday, July 7, 2016

हाइकु

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

सहज मन
समर्पित तुमको
सारा जीवन।

चाहो जितना,
उड़ुँ पतंग सम,
तुम दो ढ़ील।

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Tuesday, July 5, 2016

फिर आया..............

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

फिर आया बरखा का मौसम
सिंदूरी शामों का मौसम   ।
अब भरता सड़कों पे पानी
फिर आया जामों का मौसम।

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Monday, July 4, 2016

हाइकु

डॉ0 मंजूश्री गर्ग

नन्हें परों को
सिखा दिया उड़ना
छुयें आकाश।

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Sunday, July 3, 2016

क्योंकि मैं बीज हूँ
(डॉ0 मंजूश्री गर्ग)

क्योंकि मैं बीज हूँ
शिखर पर रहकर भी
कठोर आवरण में रहता हूँ.
समय आने पर, कहीं दूर
भूमि में बो दिया जाऊँगा
अंकुरित होने के लिये.
पुरातनता के संस्कार लिये
नयी हवा, पानी, मिट्टी में पनपने के लिये.

उजाला मुझे तब भी नहीं मिलेगा
जो मुझसे उष्मा पाकर
आयेंगे बाहर, वो अंकुर होंगे.
पल्लव होंगे, तने होंगे, फूल होंगे
और होंगे फल, लेकिन जब मेरा प्रतिरुप

बीज आयेगा; तो फिर वही कठोर आवरण में------------