Wednesday, January 10, 2024


    सूरज दादा!

 

धुंध की चादर ओढ़े

क्यूँ बैठे  हो

सूरज दादा!

कर फैला कर

दूर करो अँधेरा।

 

खेलें, कूदें

धूम मचायें

संग तुम्हारे गायें

जब आँगन में

धूप नहाये।

        डॉ. मंजूश्री गर्ग 

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