आओ! मनायें खुशियाँ अपरम्पार।
उड़ायें सब मिल पतंग आकाश।।
कहीं पोंगल, कहीं बिहू, कहीं लोहड़ी,
कहीं मनायें मकर संक्रांति. ।
करें नई फसल का स्वागत,
स्वागत सूर्य देव का, हुये उत्तरायण।।
धीरे, धीरे, धीरे होगी सर्दी कम,
आओ! मनायें खुशियाँ अपरम्पार।।
डॉ. मंजूश्री गर्ग
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